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CG HC Notice medical colleges: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेशभर के निजी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई की। इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों को नोटिस जारी कर उनसे दो हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका में एक छात्रा ने कॉलेजों द्वारा छात्रों से अवैध तरीके से फीस वसूलने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी।
क्या है मामला?
EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कैटगरी से जुड़ी मेडिकल छात्रा प्रतीक्षा जांगड़े ने हाईकोर्ट (CG High Court) में जनहित याचिका दायर की है। छात्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि कॉलेज प्रबंधन ने उसका ट्रांसपोर्ट और हॉस्टल का उपयोग नहीं होने के बावजूद लाखों रुपए वसूलने का दवाब डाला।
प्रतीक्षा का कहना था कि कॉलेज फीस के रेगुलेटरी नियमों का पालन नहीं कर रहा है। इस तरह से छात्रों से अनावश्यक शुल्क वसूलने का मामला उठाते हुए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट की सुनवाई और कार्रवाई
आज की सुनवाई में, चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने कॉलेजों से दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। यह फैसला उन छात्रों के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है, जो निजी कॉलेजों के प्रबंधन द्वारा शुल्क के नाम पर हो रहे अत्याचार से परेशान हैं।
कॉलिजों से जवाब तलब
हाईकोर्ट ने प्रबंधन को आदेश दिया है कि वे इस मामले में कॉलेज फीस के नियमन से जुड़ी जानकारी पेश करें। प्रतीक्षा जांगड़े की याचिका में यह मुद्दा उठाया गया है कि निजी कॉलेजों द्वारा फीस के लिए निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, और छात्रों से अनावश्यक शुल्क वसूला जा रहा है।
आगे की प्रक्रिया और छात्रों की उम्मीदें
अब मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट द्वारा कॉलेजों से मिले जवाब के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले से छत्तीसगढ़ के छात्रों को उम्मीद है कि प्रबंधन की मनमानी पर अंकुश लगेगा और उनके अधिकारों की रक्षा होगी।
इस सुनवाई से पहले भी कई छात्र इस तरह की शिकायतों को लेकर उच्च न्यायालय का रुख कर चुके थे। हालांकि, यह पहली बार है जब इस मामले पर हाईकोर्ट ने इतनी गंभीरता से ध्यान दिया है और निजी मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ नोटिस जारी किया है।
CG में मेडिकल कॉलेज फीस विवाद की मुख्य बातें:
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नियमों का पालन न करने पर सख्त कदम
छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि अगर निजी मेडिकल कॉलेजों ने निर्धारित शुल्क वसूली नियमों का पालन नहीं किया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। छात्रों का यह मामला राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक उदाहरण स्थापित कर सकता है कि किस प्रकार उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि उच्च न्यायालय छात्रों के हितों की रक्षा में गंभीर है और अगर कॉलेजों ने नियमों का उल्लंघन किया तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।