करंट से मासूमों की मौत पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त,अवकाश के दिन हुई सुनवाई,सरकार से जवाब तलब

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने करंट लगने से मासूम बच्चों की मौत को गंभीरता से लिया। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कोंडागांव में हुई घटनाओं के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने अवकाश के दिन सुनवाई की।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ में लगातार सामने आ रही करंट से मौत की घटनाओं को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (CG High Court) ने सख्त रुख अपनाया है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कोंडागांव जिले में दो मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने इसे जनहित का मामला मानते हुए शनिवार को विशेष सुनवाई की। खास बात यह रही कि कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर अवकाश के दिन भी सुनवाई की।

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घटनाएं जिसने हिलाया प्रदेश

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (करगीकला गांव): खेत के पास खेलते समय 6 साल के मासूम की करंट की चपेट में आने से मौके पर ही मौत हो गई।

कोंडागांव: ढाई साल की बच्ची महेश्वरी यादव की खेत में करंट से दर्दनाक मौत हो गई।

दोनों घटनाओं ने न केवल स्थानीय ग्रामीणों बल्कि पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया।

हाईकोर्ट की कार्रवाई 

डिवीजन बेंच ने कहा कि –प्रदेश में खेतों की बाड़ पर बिजली का करंट प्रवाहित करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।यह न केवल इंसानों बल्कि पशुओं और वन्यजीवों की जान के लिए भी खतरा है।बरसात के दिनों में पानी भरने के कारण पूरा इलाका करंट की चपेट में आ सकता है।

कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए सरकार को सुरक्षा का ठोस रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया। साथ ही, मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर 22 सितंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा गया।

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सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया

सुनवाई के कुछ घंटों बाद महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने मुख्य सचिव को पूरे मामले की जानकारी दी।महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक पी.एस. एल्मा ने सभी कलेक्टरों और जिला अधिकारियों को पत्र लिखा।

आदेश में कहा गया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में रोजाना 3 से 6 वर्ष के बच्चे आते हैं। माता-पिता उन्हें सुरक्षित मानकर भेजते हैं। ऐसे में कोई भी लापरवाही उनके जीवन के लिए घातक हो सकती है।

विभागीय अधिकारियों, सहायिकाओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को केंद्रों का गहन निरीक्षण करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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करंट से बच्चों की मौत मामले के मुख्य बिंदु

  1. दो अलग-अलग घटनाएं:

    • गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के करगीकला गांव में 6 साल के बच्चे की खेत के पास खेलते समय करंट लगने से मौत।

    • कोंडागांव जिले में ढाई साल की बच्ची महेश्वरी यादव की करंट से मौत।

  2. हाईकोर्ट की त्वरित सुनवाई:

    • चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने शनिवार को (अवकाश के दिन) मामले की सुनवाई की।

    • मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर रोडमैप प्रस्तुत करने को कहा।

  3. खतरे का कारण:

    • खेतों की बाड़ पर करंट लगाना बच्चों, मवेशियों और वन्यजीवों के लिए जानलेवा।

    • बरसात में पानी भरने से पूरा क्षेत्र करंट की चपेट में आ सकता है।

  4. सरकारी कार्रवाई:

    • महाधिवक्ता ने मुख्य सचिव को मामले की जानकारी दी।

    • महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी कलेक्टर और अधिकारियों को निर्देश भेजे।

    • आंगनबाड़ी केंद्रों में 3–6 साल के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश।

  5. अगली सुनवाई:

    • हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सुरक्षा उपायों और रोकथाम के लिए रोडमैप तैयार करें।

    • अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर खेतों में बिजली का करंट क्यों छोड़ा जाता है? ग्रामीण अक्सर जंगली जानवरों और मवेशियों को रोकने के लिए यह तरीका अपनाते हैं, लेकिन यह जानलेवा साबित हो रहा है।लगातार ऐसी घटनाओं ने ग्रामीण इलाकों में भय और असुरक्षा का माहौल बना दिया है।

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आगे की कार्रवाई 

कोर्ट की सख्ती के बाद अब पूरा ध्यान इस पर है कि सरकार 22 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई में कौन सा रोडमैप और एक्शन प्लान पेश करेगी। क्या ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा मानकों को लागू किया जा सकेगा या यह घटनाएं फिर से दोहराई जाएंगी – यह आने वाला समय ही बताएगा।

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