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CG Police Quarters Crisis: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में पुलिसकर्मियों की आवासीय स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने बुधवार को हुई सुनवाई में निर्देश दिया कि जीर्ण-शीर्ण मकानों को खाली कर नए मकान बनाए जाएं और जिन जवानों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मकान से बेघर किया गया है, उनके लिए तुरंत वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराया जाए।
मात्र 22 प्रतिशत पुलिसकर्मी पा सके क्वार्टर
कोर्ट में दाखिल शपथपत्र के मुताबिक, प्रदेश में पुलिस बल की कुल स्वीकृत संख्या 83,259 है, जबकि उपलब्ध क्वार्टर केवल 18,396 हैं। इसका मतलब यह हुआ कि सिर्फ 22.09 प्रतिशत पुलिसकर्मी ही क्वार्टर में रह पा रहे हैं। बाकी जवान आज भी जर्जर और अनुपयुक्त मकानों में रहने को मजबूर हैं।
प्रमुख आवासीय स्थिति और निर्माण विवरण
रायपुर के आमनाका स्थित 24 पुलिस क्वार्टरों को पीडब्ल्यूडी ने पूरी तरह मरम्मत योग्य घोषित किया है। बिलासपुर कोतवाली में 56 पुलिस कर्मियों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मकान खाली कराए गए थे। शर्त यह थी कि उनके लिए नए मकान और जी प्लस 1 पुलिस स्टेशन बनाया जाएगा, लेकिन अब तक बजट आवंटित नहीं हुआ।
पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन को पहली बार भवनों की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपए का बजट मिला, लेकिन राशि अभी तक जारी नहीं हुई। नए क्वार्टर निर्माण के लिए 500 जी-टाइप और 2384 एच-टाइप क्वार्टर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है, जिसकी प्रशासनिक मंजूरी लंबित है।
अब तक का निर्माण
- 2018 से 2024: 390 एच-टाइप और 1296 जी-टाइप क्वार्टर बने।
- 2025 में अब तक: 192 एच-टाइप और 36 जी-टाइप क्वार्टर पूरे हो चुके हैं।
- फिलहाल निर्माणाधीन: 506 एच-टाइप और 132 जी-टाइप क्वार्टर।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट (CG High Court) ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जीर्ण-शीर्ण मकानों को खाली कर पुनर्निर्माण कार्य तुरंत शुरू किया जाए। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विस्थापित जवानों को तुरंत नए मकान उपलब्ध कराए जाएं। सभी लंबित बजट प्रस्तावों को तुरंत मंजूरी दी जाए ताकि आवासीय संतुष्टि स्तर बढ़ाया जा सके।
हाईकोर्ट ने पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर को अगली सुनवाई (24 सितंबर) तक ताजा स्थिति का ब्योरा देने का निर्देश दिया। साथ ही वित्त विभाग के सचिव को भी कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया।
छत्तीसगढ़ पुलिस क्वार्टर समस्या की मुख्य बातें1. क्वार्टर की उपलब्धता बेहद कमकेवल 22 प्रतिशत पुलिसकर्मी को ही क्वार्टर मिल रहे हैं। बाकी जवान जर्जर और अनुपयुक्त मकानों में रहने को मजबूर हैं। 2. विस्थापित जवानों के लिए वैकल्पिक आवास की आवश्यकतास्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कई जवानों को मकान खाली कराना पड़ा, लेकिन उनके लिए अभी तक नई व्यवस्था नहीं की गई। 3. बजट जारी न होनापुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन को भवनों की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपए का बजट मिला, लेकिन राशि अभी तक जारी नहीं हुई। 4. नए क्वार्टर निर्माण में देरी390 करोड़ के प्रस्ताव के बावजूद नए एच-टाइप और जी-टाइप क्वार्टर निर्माण की मंजूरी लंबित है, और निर्माणाधीन क्वार्टरों की संख्या सीमित है। 5. हाईकोर्ट के सख्त निर्देशछत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जीर्ण-शीर्ण मकानों को खाली कर पुनर्निर्माण करने और विस्थापित जवानों को तुरंत आवास उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। |
रायपुर और प्रदेश में प्रभाव
प्रदेश में पुलिसकर्मियों की आवासीय समस्याएं लंबे समय से बनी हुई हैं। सिर्फ 22 प्रतिशत कर्मियों को क्वार्टर मिलने के कारण बाकी जवान जर्जर मकानों में रह रहे हैं, जिससे न केवल उनकी सुविधा प्रभावित हो रही है बल्कि कार्यकुशलता पर भी असर पड़ सकता है। हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बाद अब प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि जल्द से जल्द नए मकानों का निर्माण और विस्थापित जवानों के लिए आवास उपलब्ध कराया जाए।