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Bastar Development Authority Meeting Chitrakoot : सीएम विष्णुदेव साय सरकार को खुश करने के लिए अफसरों ने किसानों के हिस्से का रिजर्व पानी झरने में बहा दिया। सीएम की महज चार घंटे की बैठक के लिए प्रशासन ने चित्रकोट के झरने से पानी बहाकर मनोरम दृश्य पैदा कर दिया। सीएम बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक लेने सोमवार को बस्तर के चित्रकोट पहुंचे थे। आइए आपको बताते हैं कि क्या है पूरा मामला....
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झरने के सामने फोटो खिंचवाते मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के लिए यह दृश्य पैदा करने अफसरों ने किसानों की परवाह नहीं की। जो झरना सीएम के पीछे बह रहा है, उसमें वही पानी छोड़ा गया है जो किसानों की फसल के लिए रखा गया था। सीएम साय ने बस्तर के चित्रकोट में बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक की। बैठक का मकसद बस्तर को पर्यटन की दृष्टि से दुनिया के नक्शे पर लाना है, लेकिन यहां पर अफसरों ने सीएम को खुश करने के लिए किसानों के हिस्से के पानी पर डाका डाल दिया। हजारों क्यूसेक पानी झरने में बहा दिया गया, जिससे हजारों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जा सकती थी।
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मीटिंग स्थल पर नेता-मंत्री, अफसरों को बैठने के लिए आलीशान व्यवस्था की गई। दो एसी डोम बनाए गए। एक में बैठक तो दूसरे में भोजान का इंतजाम किया गया । दोनों डोम में 20 से ज्यादा एसी लगाए गए हैं। अनुमान के अनुसार सिर्फ टेंट आदि व्यवस्था पर ही एक करोड़ खर्च किया गया है। चित्रकोट झरना स्थल पर रंग बिरंगी लाइटिंग व्यवस्था के लिए पहले ही दो करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद प्राधिकरण की यह पहली बैठक है।
धान की तो किसानों पर 50 हजार का जुर्माना लगाने का तुगलकी फरमान
अफसरों की ओर से किसानों के लिए रिजर्व रखे गए पानी को बर्बाद किए जाने का मामला बहुत ही गंभीर है। दरअसल, यहां पर धान की फसल करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाए जाने का फरमान जारी किया जा चुका है। राजनांदगांव जिले में पानी के आसन्न संकट को देखते हुए किसानों के लिए मुनादी कराई गई है। इसमें कहा गया है कि यदि गर्मी में किसान धान की फसल करते हैं तो उन पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सीएम की इस बैठक पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि पूरी सरकार राजनीतिक पर्यटन पर निकली है। एक तरफ किसानों धान बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं, दूसरी तरफ सरकार बस्तर में मौज कर रही है। सरकार ये मौज-मस्ती छोड़ प्रदेश पर ध्यान दे, ताकि किसान धान- पानी को परेशान न हों।