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छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग जहां एक ओर प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है वहीं दूसरी ओर यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है। और स्वास्थ्य सेवाओं का हाल तो बेहद ही बुरा है। यहां इलाज कराना लंबी लड़ाई लड़ने जैसा है। संभाग में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 355 स्वीकृत पद हैं, लेकिन हकीकत ये है कि सिर्फ 45 डॉक्टर ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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310 पद पड़े हैं खाली
करीब 310 पद आज के समय तक भी खाली पड़े हुए हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की भूमिका साधारण नहीं होती। ये वे होते हैं, जिनके पास किसी महिला की सुरक्षित डिलीवरी से लेकर किसी के हार्ट अटैक तक का इलाज होता है। जिनकी मौजूदगी से एक छोटा सीएचसी भी बड़ा जीवनदाता बन सकता है। लेकिन बस्तर के हर जिले की तस्वीर अलग नहीं बल्कि एक जैसी दयनीय है।
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इन जिलों में हैं इतने विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्वीकृतिबस्तर - 67 पद स्वीकृत, 12 डॉक्टर कार्यरत |
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मरीजों की संख्या बहुत
जब छोटे अस्पतालों में इलाज नहीं होता तो इसका दबाव सीधे जिला अस्पतालों पर आता है। जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा जैसे प्रमुख संस्थानों पर रोजाना सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं।
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डॉक्टरों के लिए भी बड़ी परेशानी
आलम यह है कि एक एक्सपर्ट डॉक्टर एक साथ तीन विभाग संभाल रहा है। उसके पास जांच, परामर्श और ऑपरेशन का जिम्मा है। इसी बीच एक और हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई है। जगदलपुर में केंद्र सरकार की योजना से बनकर तैयार हुआ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल आज तक शुरू नहीं हो पाया है। कुल मिलकर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हालत बेहद दयनीय हैं।
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