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बिलासपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने बस्तर संभाग के जगदलपुर जिले में पदस्थ विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) मानसिंह भारद्वाज के निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया है। याचिकाकर्ता मानसिंह भारद्वाज जगदलपुर विकासखंड में बीईओ के पद पर पदस्थ हैं।
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गलत जानकारी देने का आरोप
विकासखंड अधिकारी पर युक्तियुक्तकरण को लेकर विभाग को गलत जानकारी देने का आरोप है। जिस पर प्रभारी कलेक्टर ने उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। विकासखंड अधिकारी मानसिंह भारद्वाज ने कोर्ट को बताया गया कि वो 2 जून से 6 जून 2025 के दौरान भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए मध्यप्रदेश के सिवनी गए थे। इसके लिए उन्होंने पूर्व स्वीकृत छुट्टी भी ली थी।
निरस्त की गई थी छुट्टीलेकिन 4 जून को अचानक उनकी छुट्टी निरस्त कर दी गई और 5 जून को उपस्थित होने का आदेश जारी किया गया। इसके बाद लौटने से पहले ही 6 जून को उनका निलंबन आदेश पारित कर दिया गया। न तो उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया और न ही व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर मिला। |
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सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ की अपील
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी थी। इस पर उन्होंने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की। डिवीजन बेंच ने मामले की गंभीरता को समझते हुए आदेश को नियम के खिलाफ मानते हुए निरस्त कर दिया।
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आदेश में कलेक्टर के दस्तखत नहींहाईकोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर संभागीय आयुक्त चाहें तो वे नियमों के तहत उचित प्रक्रिया अपनाते हुए दो सप्ताह के अंदर कार्रवाई कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि निलंबन आदेश पर कलेक्टर के हस्ताक्षर नहीं थे। उस समय कलेक्टर छुट्टी पर थे और जिला पंचायत सीईओ प्रभारी कलेक्टर के रूप में कार्यरत थे। सीईओ ने ही निलंबन आदेश पर हस्ताक्षर किए। जो नियमों का उल्लंघन है। |
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अधिकारी नियमों का पालन करें
निलंबन जैसी कठोर कार्रवाई में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राधिकारी विधि की ओर से मिले अधिकारों का पालन करे, अन्यथा आदेश असंवैधानिक और शून्य हो जाता है। कलेक्टर न तो बीईओ के नियुक्ति प्राधिकारी हैं और न ही उन्हें निलंबन का अधिकार है। यह अधिकार केवल संभागीय आयुक्त या स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव के पास निहित है: हाईकोर्ट
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