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Bharatmala Project Scam: छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘भारतमाला परियोजना’ से जुड़े जमीन अधिग्रहण में 43 करोड़ रुपए से अधिक के मुआवजा घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने जल संसाधन विभाग के दो पूर्व अफसरों सहित कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों को बुधवार को रायपुर स्थित स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां अदालत ने दो को 23 जुलाई तक और चार को 18 जुलाई तक रिमांड पर भेज दिया है।
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गिरफ्तार आरोपी कौन-कौन?
- गोपाल राम वर्मा – रिटायर्ड अमीन, जल संसाधन विभाग
- नरेंद्र कुमार नायक – रिटायर्ड अमीन, जल संसाधन विभाग
- खेमराज कोसले
- पुनुराम देशलहरे
- भोजराम साहू
- कुंदन बघेल
EOW अब इन सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है ताकि मुआवजा फर्जीवाड़े की पूरी चेन का खुलासा किया जा सके।
क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट?
भारतमाला परियोजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना है। इसके अंतर्गत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 463 किमी लंबा फोरलेन कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इस सड़क निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण किया गया, जिससे संबंधित मुआवजा वितरण में यह घोटाला सामने आया है।
कैसे हुआ घोटाला?
अधिकारियों ने जानबूझकर फर्जी सर्वे रिपोर्ट दी। जमीन के टुकड़े करके और नए नाम दर्ज कर 29.5 करोड़ की जमीन को 78 करोड़ में मुआवजा दिखाया गया। राजस्व, जल संसाधन विभाग के अधिकारी और भू-माफिया मिलकर सिंडिकेट बनाकर इस गड़बड़ी को अंजाम दे रहे थे।
दस्तावेजों में बैक डेट से बदलाव कर फर्जी नाम चढ़ाए गए। एक ही परिवार की 4 एकड़ जमीन को टुकड़ों में बांटकर 14 लोगों के नाम कर 70 करोड़ मुआवजा दे दिया गया।
अभनपुर बेल्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा
अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांवों में मुआवजा के लिए 80 नए नाम रिकॉर्ड में दर्ज किए गए। कुल 159 खसरे बनाए गए और 559 मीटर ज़मीन की कीमत तीन गुना बढ़ा दी गई।
पूरी 9.38 किमी ज़मीन के अधिग्रहण के लिए 324 करोड़ निर्धारित किए गए, जिनमें से 246 करोड़ वितरित किए जा चुके हैं। शेष 78 करोड़ की राशि फिलहाल रोकी गई है।
1️⃣ 6 आरोपी गिरफ्तार 2️⃣ 43 करोड़ का घोटाला 3️⃣ फर्जी नाम और खसरे 4️⃣ बैक डेट में कागजों में गड़बड़ी 5️⃣ जांच में अफसर नपे |
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पहले भी हो चुकी हैं सख्त कार्रवाइयां
डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को निलंबित किया गया। जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू भी निलंबन की चपेट में आ चुके हैं। कुल 5 अफसर-कर्मचारियों पर 43.18 करोड़ रुपए की अनियमितता का आरोप है।
NHAI ने भी जताई आपत्ति
एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की ओर से भी भुगतान प्रक्रिया और दस्तावेजों पर आपत्ति जताई गई थी। आपत्ति के बाद राजस्व सचिव को जांच रिपोर्ट भेजी गई और मुआवजा वितरण तत्काल प्रभाव से रोका गया।
EOW की जांच जारी
EOW द्वारा गिरफ्तार आरोपियों से यह पता लगाया जा रहा है कि फर्जी दस्तावेज बनाने में कौन-कौन शामिल थे, पैसे का कितना हिस्सा किन लोगों तक पहुंचा, और इस घोटाले की जड़ कहां तक फैली है।
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