भूपेश बघेल का सुप्रीम कोर्ट में ईडी पर हमला, चैतन्य की गिरफ्तारी को बताया गैरकानूनी, विजय शर्मा पर साधा निशाना

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने अपने बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है और ईडी पर मौलिक अधिकारों के हनन और PMLA की धाराओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपने बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार देते हुए बघेल ने ईडी पर मौलिक अधिकारों के हनन और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 44, 50, और 66 का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप लगाया है।

सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका पर 4 अगस्त 2025 को आधे घंटे तक सुनवाई हुई, और अब इस मामले को 6 अगस्त 2025 को डबल बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इस बीच, बघेल ने छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए उन्हें "ईडी का प्रवक्ता" तक कह डाला।

चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश अपने बेटे चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद आक्रामक मूड में हैं। भूपेश ने बेटे की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया। भूपेश ने कहा कि ईडी ने उनके बेटे को बिना पूर्व नोटिस या कोर्ट की अनुमति के गिरफ्तार किया है। यह PMLA के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। 

बघेल के अनुसार, 3 साल पहले चैतन्य को एक नोटिस मिला था, जिसके जवाब में वह ईडी कार्यालय भी गया था। लेकिन इसके बाद तीन साल तक कोई नोटिस नहीं दिया गया, और अचानक आरोपी के बयान के आधार पर चैतन्य को गिरफ्तार कर लिया गया। बघेल ने सवाल उठाया कि जिस आरोपी के बयान पर यह कार्रवाई हुई, वह खुलेआम घूम रहा है।

ईडी ने उसे गिरफ्तार नहीं किया। उन्होंने कहा, "ईडी ने चालान पेश करने के बाद भी कोर्ट से आगे की जांच की अनुमति नहीं ली, जो कानून के खिलाफ है।"

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सुप्रीम कोर्ट में याचिका में ईडी पर गंभीर आरोप

भूपेश ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में ईडी की कार्रवाई को "कानून और संविधान से परे" बताया। उन्होंने दावा किया कि ईडी ने PMLA की धारा 44 (चालान दाखिल करने की प्रक्रिया), धारा 50 (समन और जांच की शक्तियां), और धारा 66 (केंद्र सरकार को सूचना देने की प्रक्रिया) का उल्लंघन किया है। 

बघेल ने कहा कि यह कार्रवाई उनके और उनके परिवार के मौलिक अधिकारों का हनन है। सुप्रीम कोर्ट की एकल पीठ में 4 अगस्त को हुई सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे डबल बेंच में स्थानांतरित कर दिया। अब 6 अगस्त को होने वाली सुनवाई में इस मामले पर विस्तृत चर्चा की उम्मीद है।

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विजय शर्मा पर बघेल का पलटवार

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने हाल ही में भूपेश पर तंज कसते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई वारंट जारी नहीं हुआ है, फिर भी वह "डर के मारे" सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर कर रहे हैं। इस बयान पर बघेल ने तीखा पलटवार करते हुए कहा, "विजय शर्मा ईडी के प्रवक्ता बन गए हैं। 

उन्हें बताना चाहिए कि क्या ईडी कानून के दायरे में काम कर रही है? बिना कोर्ट की अनुमति और किसी आरोपी के बयान के आधार पर गिरफ्तारी कैसे जायज है?" बघेल ने शर्मा पर सियासी निशाना साधते हुए कहा कि वह इस मामले में बेवजह बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि असल मुद्दा ईडी की गैरकानूनी कार्रवाई है।

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विजय शर्मा का जवाब: "डर क्यों?

विजय शर्मा ने सोमवार को बालोद जिले के दौरे के दौरान बघेल की सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "भूपेश के खिलाफ कोई वारंट जारी नहीं हुआ, फिर वह अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट क्यों भागे? भूपेश को किस चीज का डर है?" शर्मा ने यह भी दावा किया कि बघेल की इस कार्रवाई से उनकी बेचैनी और डर साफ जाहिर होता है।

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CGMSC घोटाला, पृष्ठभूमि और विवाद

भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य का नाम छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें 411 करोड़ रुपये की दवा खरीद में अनियमितताओं का आरोप है। ईडी इस मामले में पहले ही मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा और स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है।

चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी भी इसी जांच का हिस्सा मानी जा रही है। ईडी का दावा है कि इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं, और चैतन्य का नाम कुछ आरोपियों के बयानों में सामने आया है। हालांकि, बघेल ने इन आरोपों को "सियासी साजिश" करार देते हुए खारिज किया है।

सियासी घमासान और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी और भूपेश बघेल की सुप्रीम कोर्ट याचिका ने छत्तीसगढ़ की सियासत में हलचल मचा दी है। कांग्रेस इसे "बीजेपी की बदले की कार्रवाई" बता रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि "कानून अपना काम कर रहा है।" सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को होने वाली सुनवाई पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं। यह सुनवाई न केवल चैतन्य की गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाएगी, बल्कि ईडी की कार्यप्रणाली और PMLA के दुरुपयोग के आरोपों पर भी बहस छेड़ सकती है।

भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यदि कोर्ट बघेल की याचिका पर सहानुभूति दिखाता है, तो यह ईडी की कार्रवाइयों पर सवाल उठा सकता है। दूसरी ओर, यदि कोर्ट ईडी की कार्रवाई को सही ठहराता है, तो यह CGMSC घोटाले की जांच को और तेज कर सकता है। बघेल के सियासी भविष्य और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-बीजेपी के बीच चल रही तनातनी पर भी इस मामले का गहरा असर पड़ सकता है।

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