छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण के खिलाफ शिक्षकों का बड़ा प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लागू किए जा रहे युक्तियुक्तकरण के फैसले के विरोध में बुधवार को प्रदेशभर के शिक्षक सड़कों पर उतर आए। राजधानी के नजदीक तूता माना क्षेत्र में प्रदेश के 23 शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

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Harrison Masih
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Big demonstration teachers against rationalization Chhattisgarh the sootr
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छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लागू किए जा रहे युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) के फैसले के विरोध में बुधवार को प्रदेशभर के शिक्षक सड़कों पर उतर आए। राजधानी के नजदीक तूता माना क्षेत्र में सर्व शैक्षिक संगठन के बैनर तले प्रदेश के 23 शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों ने एकत्र होकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद जब शिक्षक मंत्रालय का घेराव करने निकले, तो पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोकने का प्रयास किया, लेकिन शिक्षक सुरक्षा घेरे की तीन लेयर में से दो को तोड़ते हुए आगे बढ़ गए। हालांकि बाद में पुलिस ने उन्हें मंत्रालय से कुछ दूरी पर रोक लिया।

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क्या है शिक्षकों का विरोध?

शिक्षकों ने स्पष्ट किया है कि वे युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सरकार जिस प्रकार से इसे लागू कर रही है, वह शिक्षा विभाग के नियमों के अनुरूप नहीं है। शिक्षकों का आरोप है कि इससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी और प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ेगी।

छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केदार जैन ने कहा, “हम उन स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग के पक्षधर हैं जहाँ शिक्षक नहीं हैं, लेकिन सरकार 2008 के सेटअप को खत्म कर 40 हजार पदों को समाप्त करने की योजना बना रही है। इससे 10 हजार से अधिक स्कूलों का मर्जर होगा और प्रधानपाठक जैसे पद खत्म हो जाएंगे। इसका हम विरोध कर रहे हैं।”

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शिक्षक संगठन सरकार पर नाराज

नवीन शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष विकास राजपूत ने प्रशासनिक ढांचे की आलोचना करते हुए कहा, “हर साल शिक्षकों का मूल्यांकन किया जाता है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का कभी आंकलन नहीं होता। उनकी विफल नीतियों का खामियाजा शिक्षक भुगत रहे हैं।”

छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के अध्यक्ष राजेश चटर्जी ने कहा, “यह प्रक्रिया धीरे-धीरे निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। सरकार सरकारी स्कूलों को कमजोर कर रही है। आज गरीबों के बच्चे, रिक्शा चालक और मजदूरों के बच्चे, जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है।”

कर्मचारियों का समर्थन

प्रदेश कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि शिक्षकों की मांगें जायज हैं, “सरकार की गलत नीतियों के चलते हमें तपती गर्मी में सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। अगर सरकार नहीं चेती तो जल्द ही प्रदेशभर में तालेबंदी जैसे हालात होंगे।”

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आंदोलन का अगला चरण

शिक्षक संगठनों ने बताया कि शिक्षा सचिव से बातचीत विफल हो चुकी है। ऐसे में आंदोलन जारी रहेगा।
31 मई से राजधानी तूता में संभागवार क्रमिक धरने की शुरुआत होगी।
सरकार को 2 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है।
इसके बाद रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा संभाग के शिक्षक क्रमवार धरना देंगे।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

शिक्षकों के इस आंदोलन ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था और सरकारी नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। युक्तियुक्तकरण जैसे संवेदनशील विषय पर पारदर्शिता और सभी हितधारकों की भागीदारी के बिना निर्णय लेना, आने वाले समय में प्रदेश के शैक्षणिक ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

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