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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने कबीरधाम जिले में संचालित आदिवासी और अनुसूचित जाति छात्रावासों और आश्रमों में पिछले कई साल से पदस्थ अधीक्षकों को बड़ी राहत दी है।
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हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
कोर्ट ने इन अधीक्षकों के ट्रांसफर और उनके स्थान पर पदोन्नत अधीक्षकों की पदस्थापना की प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग को निर्देश दिया है।
4 हफ्ते में आवेदनों का हो निपटारा: HC
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश आवेदन पत्रों का निपटारा नियम के हिसाब से आदेश मिलने के चार हफ्ते के भीतर किया जाए। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई।
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इन्होंने दायर दी थी याचिका
कबीरधाम जिले के छात्रावासों और आश्रमों में वर्ष 2015 से पहले से कार्यरत अधीक्षक जिनमें अनीता धुर्वे, प्रहलाद राम पात्रे, माया दर्रो, जयंती मेरावी, भेजंती धुर्वे, राजकुमारी बंजारे, बसंती बंजारे, चंपा देवी वारले, पूरन सिंह पोर्ते, गणपत दास बघेल, प्रकाश टेकाम, दीपकला पातरे, सुनीता सोनवानी, नर्मदा मरावी, मनोज कुमार मंडावी, लखनलाल वारते, छोटा सिंह चिचाम और नंदकुमार मरावी शामिल हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
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याचिका कहा गया कि वे लंबे समय से प्रभारी अधीक्षक के रूप में कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं, इसके बावजूद विभाग ने उन्हें हटाकर हाल ही में पदोन्नत अधीक्षकों को उनके स्थान पर पदस्थ किया जा रहा है।
कार्रवाई का विरोध
यचिका में कहा गया कि यह कार्रवाई विभाग की ओर से 10 जून 2025 को जारी दिशा-निर्देशों की कंडिका 03 के विपरीत है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि जिन आश्रमों और छात्रावासों में वर्ष 2015 के पहले से शिक्षक कार्यरत हैं, उन्हें रिक्त नहीं माना जाएगा और उन्हें हटाने की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी।
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हाईकोर्ट ने दिया निर्देश
इसके बाद भी याचिकाकर्ताओं के आवेदन पत्रों पर कोई सुनवाई नहीं की गई। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदिम जाति एवं आदिवासी विकास विभाग को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं के आवेदनों का 4 सप्ताह के भीतर नियमानुसार निराकरण किया जाए।
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