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बिलासपुर। जिले में नक्शा और ले-आउट में घोटाले का मामला सामने आया है। नगर निगम के साथ ही टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TCP) के कुछ अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी आर्किटेक्ट के नाम से 400 से ज्यादा नक्शे और 150 से ज्यादा ले-आउट पास करवा दिए।
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विभागीय जांच में हुई पुष्टिविभागीय जांच में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। इसके बाद विभाग इस मामले में कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। आरोपी पिछले 10 साल से भी ज्यादा वक्त से इस फर्जी काम को अंजाम दे रहे थे। आर्किटेक्ट के नाम पर फर्जीवाड़ानगर निगम से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी अफसरों ने आर्किटेक्ट विकास सिंह के नाम से इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। इंजीनियर विकास सिंह बिलासपुर निगम से लाइसेंस क्रमांक 234 के माध्यम से पंजीकृत है। फर्जी मोबाइल नंबर रजिस्टर्डविकास सिंह के लाइसेंस नंबर पर मोबाइल नंबर (7415380854) रजिस्टर्ड है, जो मयूर गेमनानी नाम के शख्स का है। 2015 में शुरू हुआ था कामजांच आगे बढ़ाने पर नगर निगम के अफसरों को पता चला कि आर्किटेक्ट विकास सिंह के नाम पर नक्शा पास कराने का काम नगर निगम में 10 जुलाई 2015 से शुरू हुआ, जो जून 2025 तक जारी रहा। ऐसे सामने आया घोटाला13 मई के दिन नगर निगम की टीम ने पुराने बस स्टैंड में मौजूद एक होटल के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया था। यह कार्रवाई नक्शे के विपरीत किए गए निर्माण को हटाने के लिए की गई। इनके नाम पास हुआ नक्शानगर निगम के अधिकारियों के अनुसार होटल का नक्शा रामचंद्र लालचंदानी, दौलतराम चौधरी और महक आहूजा के नाम पर पास हुआ था। |
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शर्तों का हुआ उल्लंघन
अधिकारियों ने बताया कि इन लोगों ने भवन अनुज्ञा की शर्तों का उल्लंघन किया। ओपन स्पेस और पार्किंग के लिए निर्धारित जगह पर अवैध निर्माण कर दिया। इस प्रोजेक्ट को सुपरविजन करने का शपथ पत्र आर्किटेक्ट विकास सिंह ने दिया था। निगम ने कार्रवाई के बाद जांच की और 24 जुलाई 2025 को विकास सिंह का लाइसेंस ब्लैक लिस्ट कर दिया।
दायरा बढ़ा तो फर्जीवाड़ा सामने आया
आर्किटेक्ट के ब्लैक लिस्ट लाइसेंस की जानकारी एसोसिएशन को हुई, तो उन्होंने विकास सिंह नाम का व्यक्ति ना होने की बात कही और निगम में लिखित जानकारी दी। एसोसिएशन से मिली जानकारी के बाद जब बिलासपुर नगर निगम के अधिकारियों ने जांच की, ताे फर्जीवाड़ा सामने आया ।
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EOW को सौंपा जा सकता है केस
नगर निगम के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि यह पूरा मामला जल्द ही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) को सौंपा जा सकता है। FIR की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जा रही है। सिंडिकेट में शामिल नगर निगम और TCP के कई अधिकारियों को जांच के दायरे में लाया गया है। आने वाले दिनों में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
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