बीजेपी की नई टीम या खुशामद की रेवड़ी, सेठ के घर में चल रही शपथ की तैयारी, शुरु हुआ नेताजी का आफतकाल

रायपुर में बीजेपी की नई कार्यकारिणी को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। साथ ही, "सेठजी" के घर में खुशी का माहौल है, क्योंकि उन्हें किसी बड़ी उम्मीद के पूरा होने की आस है। ऐसी और अनसुनी खबरों के लिए है "द सूत्र" का साप्ताहिक कॉलम "सिंहासन छत्तीसी"

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Arun Tiwari
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BJP new team or flattery the sootr
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रायपुर : इन दिनों छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में एक ही चर्चा है। वो चर्चा है बीजेपी की नई कार्यकारिणी की। कार्यकर्ता अब कहने लगे हैं कि पार्टी ने नई कार्यकारिणी में पद नहीं खुशामद की रेवड़ी बांटी है। जिसने जितनी चापलूसी की उसको उतनी बड़ी कुर्सी मिल गई। हमारा काम तो दरी बिछाना है वही बिछाते रहेंगे। पार्टी के एक सेठजी के घर में त्यौहार सा माहौल बन गया है।

सेठजी उम्मीद से हैं। और इसी उम्मीद के पूरा होने की तैयारी चल रही है। वहीं एक नेताजी का इन दिनों आफतकाल शुरु हो गया है। वकीलों की फौज भी उनको इससे निकाल नहीं पा रही। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।

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खुशामद करने वालों को मिली कुर्सी 

बीजेपी की हाल ही में कार्यकारिणी घोषित हुई। किरण देव की टीम के ऐलान के साथ ही पार्टी के अंदरुनी हालात वही हो गए जो निगम मंडल की सूची आने के बाद हुए थे। पार्टी के वे कार्यकर्ता नाराज हैं जिन्होंने भूपेश सरकार के खिलाफ खूब आंदोलन किए, लाठियां खाईं और अपने उपर केस लदवाए। उनको न तो निगम मंडल की कुर्सी मिली और न ही पार्टी संगठन में कोई पद।

जिन लोगों ने मुखर होकर भूपेश सरकार के घोटालों पर अपनी आवाज उठाई उनको पदों से भी हटा दिया। अब तो ये लोग कहने लगे हैं हमारी पार्टी में भी अब पद खुशामद से मिल रहे हैं। यह लिस्ट तो यही कह रही है कि जिन जिन ने खुशामद की है उनको ही रेवड़ी बांटी गई है। 

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Sethji is hopeful the sootr

उम्मीद से हैं सेठजी 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी के एक विधायक हैं जिनको लोग प्यार से सेठजी कहते हैं। इन दिनों सेठजी के घर में लोगों की बड़ी आवाजाही है। देखकर ऐसा लगता है मानों किसी बड़े आयोजन की तैयारी हो। चाय के दौर और खाने की प्लेंटे भी चल रही हैं। सेठजी की इन दिनों पूछ परख तो बहुत बढ़ गई है। सूत्र कहते हैं कि जबसे इनका नाम मंत्री बनने वाले दावेदारों में शुमार हुआ है तब से घर का माहौल ही बदल गया है। सेठजी उम्मीद से हैं इस बार उनका राजयोग प्रबल हो गया है। आपको बता दें कि ये वही हैं जिन्होंने कांग्रेस के एक दिग्गज नेता को चुनाव में पटखनी दी है। विधानसभा चुनाव में जीत के बाद इनका कद वैसे भी काफी बढ़ गया है। 

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नेताजी का आफतकाल

कांग्रेस के एक नेताजी का आफतकाल चल रहा है। पुरानी चीजें निकल निकलकर सामने आ रही हैं। नेताजी के नातेदार जेल में बंद हैं जिससे वे बहुत परेशान हैं। उनको कहीं से भी राहत नजर नहीं आ रही। निजी विमान से दिल्ली से बड़े वकील भी बुलाए जा रहे हैं लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकल रहा। बस मिल रही है तारीख पर तारीख लेकिन राहत नहीं मिल रही। नेताजी के मन में अब ये डर है यदि उनको भी कुछ हो गया तो अपने वालों को जेल से निकालेगा कौन। आने वाले समय में ये देखने में आ सकता है कि छत्तीसगढ़ की कोर्ट में दिल्ली के बड़े वकीलों की फौज नजर आ जाए। अभी तक तो यह कोशिश बेकार ही चली गई। 

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The effect of the charge is in full swing the sootr


प्रभार का प्रभाव जोरों पर

स्कूल शिक्षा जैसा विभाग 80 परसेंट से अधिक प्रभार में चल रहा है। पिछले 10-12 साल से सूबे के 3300 स्कूल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं तो 33 में 31 जिला शिक्षा अधिकारी प्रभारी हैं। स्वास्थ्य विभाग में 90 परसेंट डीन, एमएस, सीएमओ प्रभार में हैं। ऐसा नहीं है कि सीएमओ बनने लायक डॉक्टर प्रदेश में नहीं हैं, मगर जो मामला प्रीपेड, पोस्टपेड जैसे रिचार्ज प्लान से जुड़ा है, तो कोई क्या ही कर सकता है। दरअसल, पूर्णकालिक अफसर एक लिमिट से अधिक कंप्रोमाइज नहीं करता। मगर प्रभारी कुछ भी कर सकता है। उसे लगता है कि किसी भी दिन उसकी कुर्सी चली जाएगी। इसका फायदा यह होता है कि उससे जहां चाहे, वहां दस्तखत करा लो। प्रभार का सिस्टम खत्म हो गया तो तय है कि करॅप्शन की कुंजी भी बोथरी हो जाएगी।

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