शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और संवेदनहीनता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर बीईओ कार्यालय में पदस्थ लिपिक पर मृत शिक्षकों की पत्नियों से पेंशन और उपादान राशि दिलाने के नाम पर 4 लाख रुपये की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगा है। मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित विधवाओं ने लिखित शिकायत बीईओ कार्यालय में दी और भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने इस प्रकरण को लेकर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा।
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क्या है पूरा मामला?
फिंगेश्वर ब्लॉक के शिक्षक गेसराम दीवान और चेनसिंह दीवान की मृत्यु के बाद उनकी विधवाओं को शासन द्वारा पेंशन और उपादान की राशि मिलनी थी। लेकिन, इस पूरी प्रक्रिया को सहज रूप से लागू करने की बजाय पेंशन शाखा में पदस्थ लिपिक मजहर खान ने दोनों विधवाओं से 2-2 लाख रुपये की रिश्वत मांगी और यह राशि स्कूल के चपरासी खोरबहारा ध्रुव के माध्यम से दिसंबर 2024 में वसूली गई।
हालांकि, रिश्वत देने के बाद भी आज तक दोनों महिलाओं को न तो पेंशन मिली और न ही उपादान की राशि। गेसराम दीवान बोरिद हाईस्कूल में पदस्थ थे, जबकि उसका DDO कार्यालय फिंगेश्वर बीईओ के अधीन नहीं था, इसके बावजूद उसकी पत्नी से झांसा देकर रिश्वत वसूली गई।
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गवाह भी मौजूद, फिर भी कार्रवाई नहीं
पीड़ितों के अनुसार, इस अवैध लेन-देन के समय कुछ गवाह भी मौजूद थे। रिश्वतखोरों ने यह कहकर डराया कि "बीईओ तक पैसा पहुंचाना है और किसी से कुछ मत कहना।" पीड़ितों ने कई बार बीईओ कार्यालय का चक्कर काटा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
शिकायत मिलने के बावजूद बीईओ कार्यालय ने क्लर्क मजहर खान का केवल विभागीय स्थानांतरण कर दिया और कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई। इस लचर रवैये ने शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता और मिलीभगत को उजागर कर दिया है।
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राजनीतिक दबाव के बाद हरकत में आया शिक्षा विभाग
भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने इस घोटाले की शिकायत सीधे एसपी गरियाबंद से की। इसके बाद मामला मीडिया और प्रशासन की नज़र में आया और जिला शिक्षा अधिकारी ए.के. सारस्वत ने मामले की जांच के लिए टीम गठित करने की घोषणा की है।
हालांकि, फिंगेश्वर बीईओ रामेंद्र जोशी ने जांच से ज्यादा खुद को बचाते हुए केवल यह कहा कि आरोपी क्लर्क का स्थानांतरण पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी साध ली।
इस मामले ने साफ कर दिया है कि शिक्षा विभाग में पेंशन और लाभ की प्रक्रियाएं रिश्वत और दलाली पर टिकी हुई हैं। मृत शिक्षकों की विधवाओं से धन ऐंठना सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना का भी चीरहरण है। अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग व शासन इस पर केवल औपचारिक जांच तक सीमित रहता है या सख्त कानूनी कार्रवाई करके एक मिसाल पेश करता है।
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