कैबिनेट विस्तार पर सीएम की दिल्ली दौड़, नड्डा लगाएंगे सूची पर अंतिम मुहर

छत्तीसगढ़ सीएम से पूछा कि क्या वे कैबिनेट विस्तार की चर्चा करने दिल्ली जा रहे हैं तो सीएम ने कहा कि दिल्ली जाने के और भी कई कारण होते हैं अकेले कैबिनेट विस्तार ही वजह थोड़ी है। इससे पहले सीएम ने कहा था कि इंतजार कीजिए सब सामने आ जाएगा... 

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Arun tiwari
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RAIPUR. छत्तीसगढ़ में लगातार कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं जोरों पर हैं। सीएम विष्णुदेव साय की दिल्ली दौड़ भी इसी ओर इशारा कर रही है। सीएम फिर दिल्ली पहुंच गए हैं। वे पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे। इससे पहले दौरे में वे पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से चर्चा कर चुके हैं। सीएम से जब पूछा गया कि क्या वे कैबिनेट विस्तार की चर्चा करने दिल्ली जा रहे हैं तो सीएम ने कहा कि दिल्ली जाने के और भी कई कारण होते हैं अकेले कैबिनेट विस्तार ही वजह थोड़ी है। इससे पहले सीएम ने कहा था कि इंतजार कीजिए सब आपके सामने आ जाएगा। 

ओबीसी की संख्या बढ़ेगी या बराबर रहेगी

साय कैबिनेट में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग के मंत्री हैं। दो आदिवासी, ओबीसी से अरुण साव,ओपी चौधरी, लखनलाल देवांगन,श्यामबिहारी जायसवाल, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा हैं। यानी दस मंत्रियों में से छह ओबीसी से आते हैं। यदि जातिय संतुलन साधना है तो ओबीसी के एक मंत्री की कुर्सी जा सकती है। इसका फैसला परफार्मेंस के आधार पर होगा। वहीं साय कैबिनेट में एक अनुसूचित जाति और एक सामान्य वर्ग के मंत्री हैं। यानी कम से कम एक-एक मंत्री इस वर्ग से बनाने की भी दरकार है।

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एक सामान्य और एक एससी 

जातीय संतुलन साधना है तो एक सामान्य वर्ग से और एक एससी से मंत्री बनाना होगा। सीएम यहां पर सतनामी समीकरण भी साधना चाहते हैं। सतनामी समाज से खुशवंत साहेब के नाम की चर्चा भी शुरु हो चुकी है। सतनामी समाज इस बात का दबाव बना रहा है कि उनमें से एक मंत्री बनाया जाना चाहिए। सीएम के उपर पुराने नामों को रिपीट करने का कोई दबाव नहीं है। सामान्य वर्ग से राजेश मूणत,अमर अग्रवाल और भावना बोहरा में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। यदि क्षेत्रीय संतुलन साधा तो लता उसेंडी को मौका देना पड़ेगा। 

जुलाई में विस्तार

सूत्रों की मानें तो साय कैबिनेट का विस्तार जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में हो सकता है। इसके पीछे कारण जुलाई में होने वाला विधानसभा सत्र है। बृजमोहन अग्रवाल के पास रहे पांच विभागों का बंटवारा भी सत्र से पहले करना पड़ेगा। सबसे जरुरी संसदीय कार्यमंत्री बनाना है। इसके अलावा स्कूल शिक्षा,धर्मस्व,संस्कृति और पर्यटन जैसे अहम विभाग भी नए मंत्रियों के हिस्से में आ सकते हैं।

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