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छत्तीसगढ़ में योजना बनाकर झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव करके शराब घोटाला किया गया था। नकली होलोग्राम लगाकर रायपुर से झारखंड में शराब भेजी गई थी, पिछले साल EOW ने प्राथमिकी दर्ज की थी, EOW के अफसर जांच के लिए झारखंड पहुंचे, तो वहां सहयोग नहीं मिला। झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव करके शराब घोटाला तो किया गया, लेकिन इसकी योजना छत्तीसगढ़ में बनी थी।
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नकली होलोग्राम लगाकर रायपुर से झारखंड में शराब भेजी गई थी, इससे राजस्व में भारी मात्रा में नुकसान हुआ। इस मामले में पिछले साल EOW ने प्राथमिकी दर्ज की थी, जब उनके EOW के अफसर जांच के लिए झारखंड पहुंचे, तो वहां सहयोग नहीं मिला। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच की अनुमति दे दी है। यह पहली बार है जब झारखंड के भ्रष्टाचार से जुड़े किसी मामले में छत्तीसगढ़ की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
यह है मामला
झारखंड में हुए शराब घोटाले में करोड़ों रूपए की हेराफेरी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इस मामले में झारखंड के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों, शराब कारोबारी और नेताओं की भूमिका की जांच की जा रही है। CBI द्वारा अब तक की गई जांच में कई लेन-देन छत्तीसगढ़ से जुड़े पाए गए हैं। इसके बाद CBI ने छत्तीसगढ़ में जांच के लिए अनुमति मांगी थी।
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सरकार की सहमति
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस अनुमति को मंजूरी दे दी है। अब CBI को छत्तीसगढ़ में भी पूछताछ, दस्तावेजों की जांच और छापेमारी की पूरी स्वतंत्रता मिल गई है। सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कुछ ठेकेदारों और अधिकारियों के नाम इस घोटाले से जुड़े ट्रांजेक्शन में सामने आए हैं।
CBI की प्रारंभिक जांच में कुछ आर्थिक लेन-देन ऐसे समय के हैं जब छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार सत्ता में थी। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि घोटाले की कुछ कड़ियाँ उस शासनकाल से जुड़ी हो सकती हैं। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन जांच के दायरे में पूर्व सरकार के समय के शराब नीति से जुड़े फैसले भी आ सकते हैं।
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विपक्ष और राजनीतिक प्रतिक्रिया
भ्रष्टाचार के इस मुद्दे पर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ववर्ती सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे "राजनीतिक संरक्षण में पनपा माफिया तंत्र" करार दिया है। वहीं, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और किसी भी एजेंसी को राजनीतिक हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए।
CBI अब छत्तीसगढ़ में संभावित संदिग्धों से पूछताछ करेगी, बैंक खातों, कंपनियों और शराब लाइसेंसों से जुड़ी फाइलों की जांच करेगी। इसके अलावा कुछ जिलों में संभावित छापेमारी की भी तैयारी है। जांच के परिणाम आने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन इससे प्रदेश में शराब नीति और राजनीतिक पारदर्शिता को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई है।
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FAQ
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