भू-जल बचाने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय का दिखावा, बिना कोर्स अप्रूव हुए ही बांट रहे सर्टिफिकेट

देश में वॉटर एडिटर बनाने में बड़ा खेल हो रहा है। वॉटर एडिटर का काम उन इंडस्ट्री में पानी को रेगुलेट करना है जो प्रतिदिन 1 लाख लीटर पानी का इस्तेमाल करते हैं।

author-image
VINAY VERMA
New Update
Central Jal Shakti Ministry pretends save ground water distributes certificates without approved courses the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

देश में वॉटर एडिटर बनाने में बड़ा खेल हो रहा है। वॉटर एडिटर का काम उन इंडस्ट्री में पानी को रेगुलेट करना है जो प्रतिदिन 1 लाख लीटर पानी का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन देश के एकमात्र संस्थान छत्तीसगढ़ के राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण संस्थान बिना अप्रूवल के पाठ्यक्रम चल रहा है और प्रशिक्षण देकर वॉटर एडिटर तैयार कर रहा है।

ये खबर भी पढ़िए...Weather Update : मानसून की धमाकेदार एंट्री... जमकर बरसेंगे बादल, Alert जारी


कैसे हो रहा खेल

केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के अधीन राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण संस्थान को नेशनल वॉटर एकेडमी पुणे के सहयोग से कोर्स चला वॉटर ऑडिटर तैयार करना था। लेकिन राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण संस्थान के पॉलिसी डॉक्यूमेंट में कर्मियों के कारण नेशनल वॉटर एकेडमी ने साथ प्रशिक्षण देने से मना कर दिया। इधर कमियों को सुधारने की जगह राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण संस्थान अकेले कोर्स संचालित करती रही और 3 बैच में 46 वॉटर ऑडिटर तैयार कर दिए। संस्थान के कोर्स में गड़बड़ी होने के कारण जब लोग संस्थान में एडमिशन नहीं ले रहे थे।

ये खबर भी पढ़िए...जमीन बेचकर पैसे कम दिए... इसलिए पति-पति ने जान से मार डाला

तो  केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संचालित 2 ट्रेनिंग संस्थाओं से निकले छात्रों पर नया नियम लाद दिया। अब नए नियम के तहत केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ट्रेनिंग संस्थाओं से सर्टिफिकेट धारी छात्रों को भी राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण संस्थान से ट्रेनिंग लेना अनिवार्य कर दिया गया। जबकि दोनों मंत्रालय भारत सरकार के अधीन हैं। जिससे देश के सैकड़ो की संख्या में छात्रों के सर्टिफिकेट शून्य हो गए। अब नए नियम के तहत इन्हें 1 लाख रुपए खर्च कर फिर से ट्रेनिंग लेनी होगी। ऐसे में सैकड़ो की संख्या में युवा बेरोजगार हो गए।

क्या है नियम

साल 2020 में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए बड़ी कंपनियों में इस्तेमाल होने वाले पानी की बर्बादी को बचाने के लिए कोशिश शुरू की। जिसके तहत देश के चार संस्थाओं से अनुबंध कर पानी के ऑडिट करवाना शुरू करवाया।

ये खबर भी पढ़िए...जन्म से पहले बीमारियों की पहचान, सिम्स में खुलेगा छत्तीसगढ़ का पहला जेनेटिक सेंटर

जबकि इन चार संस्थाओं कनफेडरेशन का इंडियन इंडस्ट्री, फेडरेशन ऑफ इंडियन कॉमर्स एंड इंडियन इंडस्ट्री, नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल और PhED के पास योग्य ऑडिटर ही नहीं थे। उसके बावजूद ये संस्थाएं, कंपनियों का ऑडिट कर सर्टीफिकेट देते रहे। हालांकि बाद में राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण संस्थान से सर्टिफिकेट प्राप्त किया है। लेकिन सवाल इस संस्थान द्वारा दिए जा रहे सर्टिफिकेट पर भी है।

क्या है वॉटर एडिटर का काम

वाटर एडिटर का काम पानी के संरक्षण और संचयन करना है। ताकि पानी बर्बाद ना हो और भूजल रिचार्ज होता रहे। अनुमान के मुताबिक देशभर में करीब 38 हजार ऐसी कंपनियां है। जिनमे प्रतिदिन 1 लाख लीटर से ज्यादा पानी का उपयोग होता है। नियमों के मुताबिक इन्हें अपने इस्तेमाल का दोगुना पानी हार्वेस्टिंग के जरिए जमीन को रिचार्ज करना है।

इसके लिए इन्हें संयंत्र और हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की आवश्यकता है। वॉटर ऑडिटर इन कंपनियों इस काम में मदद करता है। साथ में हर 2 साल में कंपनियों को ऑडिट भी करवाना है। लेकिन देशभर में वॉटर ऑडिटर की कमी से यह संभव नहीं हो पा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई जगह वॉटर ऑडिटर बिना फिजिकल वेरिफिकेशन के ही कंपनियों को सर्टिफिकेट बांट रहे हैं।

ये खबर भी पढ़िए...रिटायर्ड ASI के बेटे-बहू ने लाश को पहले सूटकेस में भरा, फिर सीमेंट डालकर किया प्लास्टर

Chhattisgarh News | chhattisgarh news update | Chhattisgarh news today

Chhattisgarh news today chhattisgarh news update Chhattisgarh News राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण