Chhattisgarh Coal Scam : 27 मई तक EOW की रिमांड पर रानू साहू और सौम्या चौरसिया

छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला केस में EOW को निलंबित आईएएस रानू साहू और सौम्या चौरसिया की 27 मई तक रिमांड मिल गई है। EOW की टीम दोनों को प्रोडक्शन वारंट पर लेकर रायपुर स्पेशल कोर्ट पहुंची थी। कोर्ट से दोनों की 15 दिन की रिमांड देने की मांग की गई थी।

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Vikram Jain
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शिव शंकर सारथी@RAIPUR. छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला घोटला मामले में एक बार फिर ईओडब्लू ने एक्शन लिया है। कोयला घोटाला केस में जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू और सौम्या चौरसिया से अब छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) पूछताछ करेगी। मामले में गुरुवार को निलंबित रानू साहू और सौम्या चौरसिया को रायपुर की विशेष कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने रानू साहू और सौम्या को 27 मई तक के लिए ईओडब्ल्यू की रिमांड पर सौंपा दिया। बता दें कि ईओडब्ल्यू ने दोनों की रिमांड के लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी, ईओडब्ल्यू अब इनसे कई बिंदुओं पर पूछताछ करेगी।

तीनों मामलों में चार्ज शीट पेश

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पत्रों पर ही EOW ने कोयला घोटाला, महादेव सट्टा एप केस और शराब घोटाला में केस दर्ज किया है। आईएएस रानू साहू और सौम्या चौरसिया से पूछताछ की जरूरत EOW को इसलिए है कि इन तीनों मामलों में चार्ज शीट पेश किया जाना है। जिस समय कोयला के परिवहन में अवैध वसूली हो रही थी, उस दौरान कोरबा जिले की कलेक्टर रानू साहू ही थी। बाद में जब प्रवर्तन निदेशालय ने एक के बाद एक गिरफ्तारी शुरू की, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रानू साहू को कोरबा से हटाकर रायगढ़ में पदस्थ कर दिया था। रायगढ़ कलेक्टर रहते रानू साहू को ED के सवालों का जवाब देना पड़ा था, साथ ही गिरफ्तार किया गया था।

सौम्या चौरसिया और रानू साहू का क्या कनेक्शन

अभियोजन पक्ष ED के मुताबिक, कोरबा कलेक्टर रहते रानू साहू को कोयला परिवहन की सारी गड़बड़ियों के बारे में पता था। बतौर कलेक्टर गड़बड़ियों को रोकने के बजाय किंग पिन सूर्यकांत तिवारी को रानू साहू का भी सपोर्ट था। मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठकर सौम्या चौरसिया तंत्र को लीड कर रही थी। आईएएस समीर विश्नोई ने तंत्र के लिए बड़ा काम किया। समीर ने कोयला परिवहन के लिए जरुरी नियमों में बदलाव किया। परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों से मंजूरी के बजाय मैन्युअली काम को आधिकारिक वैधानिक किया। ED के मुताबिक कलेक्टर के संकेतों के बाद पिट पास जारी होता था। कलेक्टर के संकेत का मतलब है, जब रिश्वत की राशि नगद में हासिल कर लिया जाता था। तब परिवहन के लिए पिट पास आदि जरुरी कागजात दिए जाते थे, यह कोल परिवहन से जुड़े लोगों को दिए जाते थे। 

अब आगे क्या....

ED को प्रदत्त अधिकारों में यह शामिल है कि आरोपियों को अपनी बेगुनाही साबित करनी होती है। आईएएस रानू साहू और सौम्या चौरसिया को भी यही करना होगा। जबकि EOW को ED जैसी शक्ति या अधिकार नहीं हैं, लेकिन EOW के समक्ष यह चुनौती तो है कि वह अपने आरोपियों को अदालत के समक्ष दोषी सिद्ध करे। 

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EOW का बड़ा स्टेप...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उप महाधिवक्ता सौरभ पाण्डेय को EOW अपना अधिवक्ता नियुक्त करने की कोशिश में है। ताकि, हाई प्रोफाइल आरोपियों को दोषी साबित किया जा सके। गौरतलब है कि, सौरभ पाण्डेय ED की ओर से कोयला परिवहन घोटाला में अभियोजन कार्य को पूरा करने में लगे हैं।

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