शिक्षा विभाग में भर्ती घोटाला: बिना परीक्षा-इंटरव्यू, 9 लोगों को मिल गई सरकारी नौकरी!

छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। नौ लोगों ने फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल कर ली और 38 महीनों तक नियमित वेतन लेते रहे।

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Harrison Masih
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CG Fake appointment scam: छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नौ लोगों ने फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी हासिल कर ली और बीते 38 महीनों से नियमित कर्मचारी की तरह वेतन भी ले रहे थे। यह मामला अब उजागर हुआ है और क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।

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कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

यह पूरा प्रकरण वर्ष 2021 के कोरोना काल का है। आरोप है कि स्कूल शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से एक फर्जी भर्ती विज्ञापन निकाला गया, जिसमें न तो किसी तरह की परीक्षा हुई और न ही साक्षात्कार। सीधे-सीधे फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर नौ लोगों को नौकरी पर रख दिया गया। उन्हें विभिन्न विद्यालयों व दफ्तरों में पदस्थ किया गया और नियमित वेतन भी मिलने लगा।

इन नौ लोगों की नियुक्ति छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा आयोग के सचिव ओपी मिश्रा के नाम से जारी फर्जी आदेश के तहत हुई थी। जब यह मामला सामने आया और मीडिया ने ओपी मिश्रा से सवाल किए, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई आदेश उनके द्वारा जारी नहीं किया गया है।

इन पदों पर हुई थी फर्जी नियुक्ति:

  • डोलामनी मटारी – डाटा एंट्री ऑपरेटर (ग्रेड पे 2400)
  • शादाब उरमान – डाटा एंट्री ऑपरेटर (ग्रेड पे 2400)
  • अजहर सिद्दीकी – डाटा एंट्री ऑपरेटर (ग्रेड पे 2400)
  • आशुतोष कछवाहा – सहायक ग्रेड-3 (ग्रेड पे 1900)
  • मोहम्मद अमीन शेख – सहायक ग्रेड-3 (ग्रेड पे 1900)
  • फागेंद्र कुमार सिन्हा – सहायक ग्रेड-3 (ग्रेड पे 1900)
  • टीकम चंद्र – सहायक ग्रेड-3 (ग्रेड पे 1900)
  • रजिया अहमद – सहायक ग्रेड-3 (ग्रेड पे 1900)
  • सी. एच. अन्थोनी अम्मा – सहायक ग्रेड-3 (ग्रेड पे 1900)

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मानव अधिकार संगठन ने खोला फर्जीवाड़े का भांडा

अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुखराम साहू और मोतीलाल हिरवानी ने प्रेस वार्ता कर दस्तावेजों के साथ इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जिस नियुक्ति आदेश का हवाला दिया जा रहा है उसमें न तो भर्ती विज्ञापन की जानकारी है, न ही परीक्षा या साक्षात्कार का विवरण, न पदस्थापन स्थान और न ही अन्य जरूरी विवरण। इससे स्पष्ट होता है कि यह नियुक्ति आदेश पूरी तरह से फर्जी है।

विधायक की प्रतिक्रिया

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मोहला-मानपुर के विधायक इंद्र शाह मंडावी ने पूरे मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने मांग की है कि इन सभी नौ लोगों पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की जाए और इसमें जो भी अधिकारी या कर्मचारी शामिल हैं, उन सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

शिक्षा विभाग और ज़िला प्रशासन का रुख

जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) फत्तेराम कोसरिया ने कहा कि अभी तक इस मामले में कोई शिकायत नहीं आई है। लेकिन शिकायत मिलते ही पूरे प्रकरण की बिंदुवार जांच कराई जाएगी। वहीं, सवाल उठ रहे हैं कि बिना नियुक्ति पत्र की वैधता जांचे, कैसे संबंधित अधिकारियों ने सेवा पुस्तिका सत्यापित की और जिला कोषालय अधिकारी ने वेतन जारी कर दिया?

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शिक्षा विभाग भर्ती घोटाला

छत्तीसगढ़ में फर्जी पत्र से नियुक्ति घोटाला क्या है?

1. फर्जी आदेश पर सरकारी नौकरी
बिना वैध प्रक्रिया 9 लोगों को मिला सरकारी पद
कोरोना काल में फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर 9 लोगों को शिक्षा विभाग में नौकरी पर रख लिया गया।

2. न परीक्षा, न इंटरव्यू
भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध
इन भर्तियों में न तो कोई विज्ञापन निकाला गया और न ही परीक्षा या साक्षात्कार आयोजित किया गया।

3. 38 महीने तक मिला वेतन
फर्जी नियुक्ति के बावजूद जारी रही नियमित सैलरी
इन नियुक्त कर्मचारियों को 3 साल से ज्यादा समय तक वेतन भी मिलता रहा, जैसे वे वैध कर्मचारी हों।

4. फर्जी आदेश में सचिव का नाम
ओपी मिश्रा के नाम से जारी हुआ था फर्जी नियुक्ति पत्र
जारी आदेश में छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा आयोग के सचिव का नाम था, जिसे सचिव ने फर्जी बताया।

5. FIR और जांच की मांग
विधायक व संगठनों ने उठाई कार्रवाई की मांग
विधायक इंद्र शाह मंडावी व मानव अधिकार संगठनों ने दोषियों पर एफआईआर और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग

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यह मामला क्यों है गंभीर?

फर्जी दस्तावेजों से सरकारी तंत्र में सेंध लगाना गंभीर अपराध है। यह दर्शाता है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत किस हद तक गई है। नियमानुसार नियुक्ति प्रक्रिया के तहत परीक्षा, साक्षात्कार, विज्ञापन आदि की जानकारी होना अनिवार्य है।

इस फर्जीवाड़े से योग्य और बेरोजगार युवाओं का हक मारा गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग और प्रशासन इस प्रकरण में कितनी तेजी और पारदर्शिता से जांच कराता है, और दोषियों को क्या सजा मिलती है।

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