छत्तीसगढ़ में बिजली का बिल नहीं जमा करने से कंपनी घाटे में, घरेलू उपभोक्ताओं से सीएसपीडीसीएल करती है वसूली

छत्तीसगढ़ में मंत्रियों और अधिकारियों द्वारा बिजली बिल न भरने से राज्य की बिजली कंपनी को भारी घाटा हो रहा है। इसका नुकसान आम घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ा है। सीएसपीडीसीएल की वसूली घाटे में जा रही है।

author-image
VINAY VERMA
New Update
Chattishgarh CDPSC metter

Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

RAIPUR.छत्तीसगढ़ में सीएसपीडीसीएल (Chhattisgarh State Power Distribution Company Limited) को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यह नुकसान मुख्य रूप से सरकारी विभागों और नेताओं द्वारा अपने बिजली बिल का भुगतान न करने से हो रहा है।

आंकड़ों के अनुसार, इस समय सीएसपीडीसीएल को 4550 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकारी विभागों की है, जिन पर 2500 करोड़ रुपए का लंबित भुगतान है। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा बिजली कंपनी को 5500 करोड़ रुपए की सब्सिडी भी नहीं दी जा रही है।

यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब सरकारी महकमों और नेताओं के बिजली बिल समय पर नहीं भरे जा रहे हैं। जैसे मुख्यमंत्री के आवास, उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के आवास का बिजली बिल भी बकाया है। ये बकाया राशि सीएसपीडीसीएल की वसूली में भारी कमी का कारण बन रही है।

विभागों के 2500 करोड़ लंबित

आंकड़ों के मुताबिक बिजली कंपनी 4550 करोड़ रुपए के नुकसान में है। जबकि सरकार के विभागों पर ही बिजली कंपनी का 2500 करोड़ रुपए लंबित है। इसके अलावा सब्सिडी के रुप में सरकार बिजली कंपनी को 5500 करोड़ रुपए नहीं दे रही है। यह पूरी राशि 8000 करोड़ रुपए होती है। अगर यह पैसा सीएसपीडीसीएल को मिल जाए तो कंपनी की रिकवरी फायदे में होगी। 

यह खबरें भी पढ़ें...

छत्तीसगढ़ विधानसभा: जल जीवन मिशन पर घिरे मंत्री अरुण साव, विधायक धरमलाल कौशिक अजय चंद्राकर ने उठाए सवाल

छत्तीसगढ़ पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा की शिकायतों को सुनेंगे गृहमंत्री, इससे पहले एडीजी की लगाई ड्यूटी

छत्तीसगढ़ में बिजली कंपनी के घाटे और बकाया बिलों को ऐसे समझें 

  • छत्तीसगढ़ में सरकारी विभागों और नेताओं का बिजली बिल बकाया, जिससे सीएसपीडीसीएल को 4550 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है।
  • सरकारी विभागों पर 2500 करोड़ रुपए और सब्सिडी के रूप में 5500 करोड़ रुपए का भुगतान लंबित है।
  • 5767 रसूखदारों के ऊपर 1 अरब रुपए से ज्यादा का बिजली बिल बकाया, जो सीएसपीडीसीएल की वसूली को प्रभावित कर रहा है।
  • यदि सरकारी संस्थान समय पर भुगतान करें, तो टैरिफ बढ़ोतरी से बचा जा सकता है और आम जनता पर बोझ नहीं पड़ेगा।
  • 11 जुलाई 2025 को विद्युत नियामक आयोग ने घरेलू उपभोक्ताओं के बिल में 15-20 पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी की थी।

रसूखदारों का एक अरब बकाया

‘द सूत्र‘ ने अपनी खबर में पहले ही बताया था कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा सहित सांसद विधायकों के बिजली का बिल बकाया है। इसी तरह प्रदेश के 5767 लोगों पर एक अरब रुपए से ज्यादा का बिल बकाया है।

अगर इस बकाया राशि को जमा कर दिया जाए तो भी सीएसपीडीसीएल का नुकसान काम हो जाएगा। बता दे की मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सरकारी आवास का बिजली बिल पीडब्ल्यूडी को भरना है। अगर सरकार का एक संस्थान दूसरे संस्थान को पैसा दे दे तो उसका भार आम आदमी पर नहीं पड़ेगा।

यह खबरें भी पढ़ें...

ध्वनि प्रदूषण और खुले में कचरा जलाने पर सख्ती, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लगाई अफसरों की क्लास!

अब कुत्तों की निगरानी करेंगे प्रोफेसर! Whatsapp पर देना होगा सबूत, छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा विभाग का आदेश जारी

इस बहाने से बढ़ाया गया टैरिफ

बिजली का बिल नहीं जमा करने से सीएसपीडीसीएल की वसूली घाटे में है। जिसका भरपाई आम घरेलू उपभोक्ताओं से किया जाता है। 11 जुलाई 2025 को यही कारण बताते हुए विद्युत नियामक आयोग ने घरेलू उपभोक्ताओं के बिल में प्रति यूनिट 15 से 20 पैसे की बढ़ोतरी की थी। यानी अगर मंत्री विधायक-सरकारी महकमें, बिल्डर और रसूखदार अपने बिजली का बिल जमा कर दे तो उनका भार जनता को नहीं सहना पड़ेगा।

छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग पीडब्ल्यूडी मुख्यमंत्री निवास बिजली बिल उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सीएसपीडीसीएल
Advertisment