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Raipur. छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र में जल जीवन मिशन को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तापक्ष के ही वरिष्ठ BJP विधायक धरमलाल कौशिक ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। उनके सवालों के बाद डिप्टी सीएम और लोक निर्माण मंत्री अरुण साव सदन में घिरते नजर आए।
211 कार्यों में 119 अब भी अधूरे
विधानसभा में धरमलाल कौशिक ने जल जीवन मिशन के तहत चल रहे कार्यों की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुल 211 कार्य लक्षित किए गए थे। इनमें से अब तक सिर्फ 91 कार्य ही पूरे हुए हैं, जबकि 119 कार्य अब भी अपूर्ण पड़े हैं। उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि इन अधूरे कार्यों को आखिर कब तक पूरा किया जाएगा।
धरमलाल कौशिक ने भुगतान प्रक्रिया को लेकर भी जानकारी मांगी और पूछा कि जिन कार्यों को पूरा नहीं किया गया, उनका भुगतान किस आधार पर किया गया।
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भुगतान में भ्रष्टाचार का आरोप
धरमलाल कौशिक ने जल जीवन मिशन के कार्यों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि बिना काम पूरा हुए ही ठेकेदारों को भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है और इससे सरकार की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।
अरुण साव का जवाब
डिप्टी CM अरुण साव ने आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि ठेकेदारों द्वारा कार्य किए जाने के बाद संबंधित इंजीनियर और एसडीओ द्वारा जांच की जाती है। जांच पूरी होने के बाद ही कार्यालय से राशि जारी की जाती है।
उन्होंने सदन में स्पष्ट किया कि अतिरिक्त भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है और जितना कार्य हुआ है, उतने का ही भुगतान किया गया है। फिलहाल जल जीवन मिशन के तहत कार्यों के लिए 70 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जा रहा है।
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अजय चंद्राकर ने अपनी ही सरकार को घेरा
इस बीच वरिष्ठ BJP विधायक अजय चंद्राकर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 70 प्रतिशत भुगतान का मुद्दा किसी एक जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश का है। उन्होंने मंत्री से सवाल किया कि प्रदेशभर में जल जीवन मिशन के अधूरे कार्य कब तक पूरे कराए जाएंगे।
अजय चंद्राकर के सवालों ने साफ कर दिया कि जल जीवन मिशन को लेकर सत्तापक्ष के भीतर भी असंतोष है और सरकार को जवाबदेही तय करनी होगी।
सदन में बढ़ा सियासी तापमान
जल जीवन मिशन को लेकर उठे सवालों और सत्तापक्ष के ही विधायकों द्वारा की गई तीखी टिप्पणी से सदन का माहौल गरमा गया। विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की।
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