ध्वनि प्रदूषण और खुले में कचरा जलाने पर सख्ती, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लगाई अफसरों की क्लास!

बिलासपुर में ध्वनि प्रदूषण, रास्ता बंद करने और खुले में कचरा जलाने जैसी समस्याओं पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने इन मामलों को जनहित याचिका मानते हुए कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा है।

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Harrison Masih
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Bilaspur. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ध्वनि प्रदूषण, रास्ता बंद करने और खुले में कचरा जलाने जैसे गंभीर नागरिक मुद्दों पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रशासन पर नाराजगी जताई है।

इन मामलों को जनहित याचिका मानते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त से शपथपत्र के साथ जवाब तलब किया है।

मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा, कि संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और गरिमापूर्ण वातावरण में जीने और सोने का मौलिक अधिकार देता है।

 इस अधिकार का उल्लंघन किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए उन्हें जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की।

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गर्डर लगाकर रास्ता बंद, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

सरकंडा क्षेत्र के शर्मा विहार और गीतांजलि सिटी कॉलोनी को जोड़ने वाली सड़क को लेकर गंभीर मामला सामने आया है। कॉलोनी के विकास के दौरान जिस सड़क का उपयोग किया जा रहा था, उसी सड़क पर अब बिल्डर द्वारा गर्डर लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया है।

इससे चारपहिया वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है, जिन्हें स्कूल जाने के लिए लंबा और वैकल्पिक रास्ता अपनाना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कॉलोनाइजर के आपसी विवाद के कारण आम नागरिकों को परेशान किया जा रहा है।

हाईकोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि नागरिकों की आवाजाही और बच्चों की शिक्षा प्रभावित होना बेहद गंभीर विषय है। कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को व्यक्तिगत शपथपत्र के साथ जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

धार्मिक आयोजनों के नाम पर रातभर लाउडस्पीकर

सरकंडा क्षेत्र के ओम विहार में ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी कोर्ट के सामने आई। यहां धार्मिक आयोजनों के नाम पर आधी रात से सुबह 8 बजे तक तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाए जाते हैं। इससे लोगों की नींद, स्वास्थ्य और दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि सुबह चार बजे शिकायत करने पर भी केवल रायपुर कंट्रोल रूम से धैर्य रखने की सलाह दी जाती है।

हाईकोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण नींद भी मौलिक अधिकार का हिस्सा है। कोर्ट ने कलेक्टर से इस मामले में शपथपत्र के साथ जवाब मांगा है।

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खुले में कचरा जलाने से बढ़ रहा प्रदूषण

नगर निगम वार्ड नंबर 7 के कालिका नगर (ग्रामीण बैंक के पास) में रोजाना खुले में कचरा जलाया जा रहा है। सुबह-शाम कचरे के ढेर में आग लगाने से पूरे इलाके में धुआं फैल जाता है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में परेशानी हो रही है।

रहवासियों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद नगर निगम समय पर कचरा नहीं उठाता, मजबूरी में लोग कचरे में आग लगाते हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में भी कलेक्टर और निगम आयुक्त से जवाब मांगा है।

17 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तीनों मामलों को गंभीर मानते हुए प्रशासन की जवाबदेही तय करने के संकेत दिए हैं। अब 17 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि प्रशासन इन समस्याओं पर क्या ठोस कदम उठाता है।

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