मुक्तिधाम में दिखा ऐसा नजारा,हैरान हो गए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस,छुट्टी के दिन भी की बड़ी सुनवाई...

दशहरा अवकाश के बीच छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। दरअसल चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा बिल्हा के मुक्तिधाम में किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे। वहां पर उन्होंने ऐसा नजारा देखा की वो हैरान रह गए। जानें क्या है पूरा मामला...

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने रविवार (28 सितंबर) को बिल्हा ब्लॉक के ग्राम रहंगी स्थित मुक्तिधाम का दौरा किया। वे यहां एक न्यायिक अधिकारी के पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे थे। लेकिन मुक्तिधाम में कुछ ऐसा नजारा देखा जिसे देख वो हैरान रह गए। उसी समय उन्होंने इस मामले को जनहित याचिका मानकर सुनवाई करने का फैसला लिया। नजारा कुछ ऐसा था की चीफ जस्टिस ने छुट्टी के दिन भी सुनवाई की।

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मुक्तिधाम की बदहाल तस्वीर

चीफजस्टिस रमेश सिन्हा ने पाया कि बिल्हा मुक्तिधाम में न तो बाउंड्रीवॉल है और न ही फेंसिंग। पहुंचने का रास्ता गड्ढों से भरा पड़ा है, जहां बरसात का पानी जमा हो जाता है। जगह-जगह झाड़ियां और घास फैली हैं, जिससे सांप और जहरीले कीड़े निकलने का खतरा है। अंतिम संस्कार के बाद का कचरा, कपड़े, शराब की बोतलें और पॉलीथिन बिखरे पड़े थे। न सफाई की व्यवस्था है और न ही कचरे के लिए डिब्बा।

इतना ही नहीं, यहां शेड, लाइट, बैठने की व्यवस्था तक नहीं है। लोगों को खुले आसमान के नीचे खड़ा रहना पड़ता है। शौचालय, अधिकृत केयरटेकर और संपर्क नंबर तक उपलब्ध नहीं है। यह हालत देखकर चीफ जस्टिस ने कहा कि “मृतक को सम्मानजनक विदाई देना संवैधानिक और मौलिक अधिकार है।”

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दशहरा अवकाश में भी की सुनवाई

हाईकोर्ट (CG High Court) में दशहरा की छुट्टियां चल रही थीं, लेकिन चीफ जस्टिस (Chief Justice Ramesh Kumar Sinha) ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए छुट्टी के दिन ही सुनवाई की। उन्होंने राज्य सरकार, कलेक्टर और ग्राम पंचायत को तुरंत कार्रवाई करने के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि यह केवल बिल्हा या रहंगी मुक्तिधाम का मामला नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में ऐसी स्थिति है, जहां मुक्तिधामों को प्राथमिकता नहीं दी जाती।

कोर्ट की सख्त टिप्पणियां और निर्देश

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि शव को सम्मानजनक विदाई देना परिवार की भावनाओं और संवैधानिक दायित्व से जुड़ा विषय है। सरकार और स्थानीय निकायों का यह दायित्व है कि वे मुक्तिधाम में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएं।

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कोर्ट ने राज्य, जिला प्रशासन और पंचायतों को तत्काल इन बिंदुओं पर कार्रवाई करने का आदेश दिया:

  • सफाई अभियान चलाकर कचरा, गंदा पानी और झाड़ियां हटाएं।
  • रास्ते, शेड और प्लेटफॉर्म की मरम्मत कराएं।
  • पानी-बिजली की स्थायी व्यवस्था करें, नल और लाइट लगाएं।
  • बैठने और शेल्टर की सुविधा बनाएं।
  • महिला-पुरुषों के लिए शौचालय और डस्टबिन उपलब्ध कराएं।
  • अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी, एलपीजी और इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की व्यवस्था करें।
  • सफाईकर्मी, केयरटेकर और नोडल अधिकारी तैनात हों।
  • हेल्पलाइन नंबर और रजिस्टर रखें।
  • कलेक्टर की अगुवाई में समिति गठित हो, जिसमें नगरपालिका, स्वास्थ्य अधिकारी और एनजीओ शामिल हों।
  • सभी मुक्तिधामों के लिए अलग फंड और गाइडलाइन तैयार की जाए।

बिल्हा मुक्तिधाम मामले की मुख्य बातें

  1. चीफ जस्टिस ने देखा अव्यवस्था का मंजर – बिल्हा मुक्तिधाम में गड्ढे, झाड़ियां, कचरा और शेड-लाइट की कमी देखकर हाईकोर्ट हैरान।

  2. जनहित याचिका मानकर सुनवाई – दशहरा अवकाश में भी चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई कर तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया।

  3. शव का सम्मानजनक विदाई मौलिक अधिकार – हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक के पार्थिव शरीर को सम्मानजनक विदाई देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

  4. सख्त निर्देश राज्य और पंचायत के लिए – सफाई, बैठने की सुविधा, शौचालय, नल और लाइट, केयरटेकर तैनाती, फंड और गाइडलाइन लागू करने के आदेश।

  5. अगली सुनवाई 13 अक्टूबर – कोर्ट ने मुख्य सचिव, पंचायत सचिव और कलेक्टर को व्यक्तिगत शपथ पत्र देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई तय की।

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अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को

कोर्ट ने मुख्य सचिव, पंचायत सचिव और बिलासपुर कलेक्टर को व्यक्तिगत शपथपत्र देने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। यह मामला सिर्फ बिल्हा मुक्तिधाम का नहीं, बल्कि राज्यभर में मुक्तिधामों की बदहाली पर उठी एक बड़ी कानूनी पहल है, जो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की तस्वीर बदल सकती है।

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