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रायपुर : सरकारी फंड बचाने के लिए वित्त विभाग ने एक नया फंडा अपनाया है। वित्त विभाग की तरफ से चिट्ठी के रुप में एक फरमान निकला है। यह फरमान सभी सरकारी विभागों, निगम,मंडल,सार्वजनिक उपक्रमों और अर्धशासकीय संस्थाओं के प्रमुखों के नाम है। इस फरमान चेतावनी के साथ हिदायत भी दी गई है कि इन संस्थाओं के जितने भी विज्ञापन होंगे वे सरकार की संस्था संवाद के जरिए ही जारी किए जाएंगे।
यदि किसी ने इस फरमान के इतर काम किया तो उसे सरकार की तरफ से एक पैसा भी नहीं मिलेगा। सरकार ने ट्रेजरी अधिकारियों से भी कहा है यदि बिना तस्दीक किए उन्होंने फंड जारी किया तो वे नप जाएंगे। सरकार की इस चेतावनी से अब सरकारी संस्थाएं अपनी चहेती एजेंसियों को काम नहीं दे पाएंगी। और न ही उनकी मनमानी चल पाएगी।
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सरकारी फरमान से आफत :
छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त विभाग ने एक नया फरमान दिया है। तीन पेज की इस लंबी चौड़ी चिट्ठी में दो टूक चेतावनी है। इस चिट्ठी में क्या लिखा है वो हम आपको बाद में बताएंगे लेकिन सरकार को ऐसा क्यों करना पड़ा यह पहले बताते हैं। दरअसल पिछले एक साल से सरकारी विभागों, निगम,मंडलों, सरकारी उपक्रम और सेमी गवर्नमेंट संस्थाओं में यह देखा गया है कि अपने विज्ञापन देने, उपलब्धियां बताने,योजनाएं और कार्यक्रम देने के लिए अपनी चहेती एजेंसियों को उपकृत कर रहीं थी।
इन संस्थाओं का सारा काम चहेती एजेंसियों के पास ही जा रहा था। इस मानमानी और फिजूलखर्ची को रोकने के लिए यह फरमान जारी किया गया है। इस चिट्ठी में साफ तौर पर लिखा गया है कि सरकार के ध्यान में आया है कि कुछ संस्थाएं यह काम संवाद के जरिए नहीं करा रही हैं। यह सरकार की मंशा के अनुरुप नहीं है। अब इससे होगा क्या कि मनमानी से चल रहा कमीशनबाजी का यह खेल बंद हो जाएगा जिससे सरकार को फिजूलखर्ची के फंड की बचत होगी।
क्या लिखा है इस चिट्ठी में :
अब आपको बताते हैं कि इस चिट्ठी में आखिर लिखा क्या है। चिट्ठी में लिखा है कि शासन की मंशा अनुरुप सरकारी विभाग, निगम,मंडल,उपक्रम और अर्धशासकीय संस्थाएं अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं,कार्यक्रमों के मीडिया,सोशल मीडिया,प्रिंट मीडिया,इलेक्ट्रानिक मीडिया और आउटडोर मीडिया को विज्ञापन देने का काम सरकारी संस्था संवाद से ही कराएं। इस चिट्ठी में आगे लिखा है कि यदि यह काम अन्य संस्थाओं से कराया जाता है तो इसका भुगतान सरकारी ट्रेजरी से नहीं होगा।
इसमें ट्रेजरी के अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है कि संवाद के जरिए होने वाले कामों का ही भुगतान किया जाए। जो काम संवाद से नहीं कराए गए हैं उनका भुगतान न किया जाए। यदि इसका पालन नहीं किया तो संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय होगी और उस पर कार्रवाई की जाएगी। आखिर में ये भी लिखा गया है कि इसका पालन कड़ाई से होना चाहिए। जो न करें उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।
1 साल में इन विभागों ने इतने के दिए विज्ञापन :
लोक निर्माण विभाग - 1 करोड़ 57 लाख रुपए
जल संसाधन विभाग - 1 करोड़ 44 लाख रुपए
वन विभाग 79 लाख रुपए
स्वास्थ्य 63 लाख रुपए
पीएचई 53 लाख रुपए
सामान्य प्रशासन विभाग 40 लाख रुपए
पंचायत एवं ग्रामीण विकास 38 लाख
आदिम जाति कल्याण 35 लाख रुपए
राजस्व विभाग 34 लाख रुपए
गृह विभाग 30 लाख रुपए
सरकार के 38 विभागों ने एक साल में 8 करोड़ से ज्यादा के विज्ञापन बांटे
अब सवाल है कि सरकार का यह फरमान कितना काम आता है या फिर जो चल रहा है वो चलता रहेगा। आखिर काम होगा तभी तो कमाई होगी।
छत्तीसगढ़ सरकार का फरमान | CG News
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