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Durg Conversion Case action:छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से जुड़े कथित धर्मांतरण और मानव तस्करी मामले ने अब नया और गंभीर मोड़ ले लिया है। नारायणपुर की तीन आदिवासी युवतियों – कमलेश्वरी प्रधान, ललिता उसेंडी और सुकमति मंडावी ने बजरंग दल की जिला संयोजक ज्योति शर्मा और उनके सहयोगियों रवि निगम, रतन यादव पर शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, छेड़छाड़, गाली-गलौज और गैंगरेप की धमकी तक देने का आरोप लगाया है।
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दुर्ग धर्मांतरण केस में युवतियों का खुलासा
पीड़ितों का कहना है कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोका और पुलिस की मौजूदगी में उनके साथ मारपीट व दुर्व्यवहार किया। उन्होंने बताया कि उनके प्राइवेट अंगों के साथ छेड़छाड़ की गई और अश्लील टिप्पणियाँ की गईं।
आरोप है कि पुलिस अधिकारियों के सामने उन्हें झूठे बयान देने पर मजबूर किया गया ताकि ननों पर धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाया जा सके। युवतियों का कहना है कि वे पहले से ईसाई धर्म का पालन करती हैं और आगरा एक ईसाई मिशन अस्पताल में अपनी मर्जी से नौकरी के लिए जा रही थीं।
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महिला आयोग में शिकायत
तीनों युवतियाँ रायपुर स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय पहुँचीं और शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने बजरंग दल कार्यकर्ताओं के साथ-साथ दुर्ग जीआरपी थाना प्रभारी राजकुमार, भिलाई-3 जीआरपी पुलिस और अन्य पर भी गंभीर आरोप लगाए। शिकायत के अनुसार, पुलिस से मदद मांगने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। डर और दबाव के कारण उन्हें 8 दिन बाद आयोग में शिकायत करने की हिम्मत जुटानी पड़ी।
महिला आयोग की कार्रवाई
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने इस मामले को गंभीरता से लिया। पहली जनसुनवाई में बजरंग दल का पक्ष उपस्थित नहीं हुआ, जिस पर आयोग ने अगली तारीख तय की।
दुर्ग एसपी को पत्र लिखकर घटना स्थल और थाना परिसर का सीसीटीवी फुटेज मांगा गया है। साथ ही आदेश दिया गया है कि अगली सुनवाई में ज्योति शर्मा सहित सभी अनावेदकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। डॉ. नायक ने कहा कि थाने के अंदर हुई यह घटना राज्य पुलिस और समाज दोनों के लिए शर्मनाक है।
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परिवार का आरोप
परिजनों का कहना है कि घटना के बाद युवतियों को चार दिन तक सखी सेंटर में रखा गया। वहां भी उन्हें थप्पड़ मारे गए और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इस घटना ने न केवल उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को प्रभावित किया है बल्कि उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है।
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दुर्ग धर्मांतरण विवाद क्या है?
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विवाद के राजनीतिक-सामाजिक मायने
यह मामला अब राजनीतिक और सामाजिक विवाद का रूप ले चुका है। एक पक्ष इसे धर्मांतरण रोकने की कार्रवाई बता रहा है, तो वहीं दूसरा पक्ष इसे महिलाओं पर अत्याचार और धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के रूप में देख रहा है।
अब पूरा राज्य महिला आयोग की जांच और अगली सुनवाई की ओर टकटकी लगाए हुए है। यह देखना अहम होगा कि पुलिस और बजरंग दल पर लगे गंभीर आरोपों पर आयोग क्या कदम उठाता है।
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