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Durg Two nuns arrested: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में हाल ही में हुई दो ननों की गिरफ्तारी के मामले में बड़ा मोड़ सामने आया है। जिन युवतियों की कथित तस्करी और धर्मांतरण को लेकर ननों पर एफआईआर दर्ज की गई थी, उनमें से एक युवती ने अब चौंकाने वाला बयान दिया है। पीड़िता ने कहा कि बजरंग दल के सदस्यों और पुलिस ने उस पर दबाव बनाकर जबरन झूठा बयान दिलवाया। युवती का दावा है कि वह अपनी मर्जी से ननों के साथ नौकरी की तलाश में जा रही थी और उसने कभी भी जबरन धर्मांतरण या तस्करी जैसी किसी घटना का अनुभव नहीं किया।
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छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी का मामला क्या है?
25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से बजरंग दल की शिकायत पर नन प्रीति मैरी, वंदना फ्रांसिस और युवती सुखमन मंडावी को गिरफ्तार किया गया। आरोप था कि ये नन आदिवासी युवतियों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए ले जा रही थीं। इस आधार पर पुलिस ने छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और अनैतिक व्यापार अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
पीड़िता ने कहा- बयान दबाव में दिलवाया गया
जिस युवती की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई, उसने अब खुलकर मीडिया से बात करते हुए कहा कि पुलिस और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उस पर दबाव डालकर झूठा बयान दिलवाया। युवती ने दावा किया कि बजरंग दल से जुड़ी ज्योति शर्मा ने उसे दो बार थप्पड़ मारा और धमकी दी कि अगर उसने जबरन धर्मांतरण की बात नहीं मानी, तो उसके भाई को जेल भेज दिया जाएगा।
अपनी मर्जी से यात्रा और रोजगार की तलाश में थी महिला
युवती ने बताया कि वह ननों से पहले कभी नहीं मिली थी और स्टेशन पर ही उनकी पहली मुलाकात हुई थी। वह अपने माता-पिता की अनुमति से आगरा और भोपाल जा रही थी, जहां उसे एक ईसाई अस्पताल में 10,000 रूपए मासिक वेतन, भोजन, कपड़े और आवास की सुविधा के साथ नौकरी मिलने वाली थी। ननों से उसका कोई धार्मिक जुड़ाव नहीं था, बल्कि वह केवल रोजगार के उद्देश्य से यात्रा कर रही थी।
बजरंग दल का दावा,रिक्शा चालक से मिली सूचना
बजरंग दल के कार्यकर्ता ऋषि मिश्रा के अनुसार, एक रिक्शा चालक ने महिलाओं और ननों की बातचीत सुनी और संदेह के आधार पर संगठन को सूचना दी। इसके बाद कार्यकर्ता स्टेशन पहुंचे और रेलवे पुलिस (जीआरपी) को पूरी जानकारी दी गई। इसी आधार पर कार्रवाई हुई और मामला दर्ज किया गया।
छत्तीसगढ़ धर्मांतरण
पुलिस और प्रशासन की चुप्पी
छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अरुण गौतम से जब युवती के लगाए गए आरोपों पर सवाल किया गया तो उन्होंने यह कहकर टिप्पणी से इनकार कर दिया कि मामला विचाराधीन है। युवती का कहना है कि पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी और बयान दर्ज किए बिना ही केस दर्ज कर दिया।
युवती की पृष्ठभूमि और संघर्ष
आदिवासी युवती ने बताया कि वह 10वीं तक पढ़ी हुई है और मजदूरी कर रोजाना करीब 250 रुपए कमाती है। सुखमन मंडावी के माध्यम से उसकी मुलाकात चर्च से जुड़ी ननों से हुई थी। वे उसे नौकरी के लिए लेकर जा रही थीं। युवती ने स्पष्ट किया कि वह इस रोजगार से खुश थी और अपने भविष्य के लिए यह निर्णय खुद लिया था।
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दुर्ग ननों की गिरफ्तारी
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छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी
इस पूरे घटनाक्रम ने छत्तीसगढ़ में धार्मिक स्वतंत्रता और महिला अधिकारों से जुड़े गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ जहां संगठनों द्वारा धर्मांतरण को लेकर अलर्ट का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर युवती द्वारा लगाए गए दबाव और मारपीट के आरोप पुलिस और प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।
यदि युवती का बयान सही है, तो यह मामला धार्मिक संप्रदायों के नाम पर की जा रही जबरदस्ती और मानवाधिकार उल्लंघन का एक चिंताजनक उदाहरण बन सकता है। ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच और दोनों पक्षों की बात को सुनना अत्यंत आवश्यक है, ताकि न्याय की सही परिभाषा सामने आ सके।
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