सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 28 परसेंट सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर,51 फीसदी असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी

रायपुर : छत्तीसगढ़ के मेडिकल सरकारी कॉलेजों में मेडिकल स्टूडेंट तो पूरे हैं लेकिन पढ़ाने वालों की भारी कमी है। सितंबर से शुरु हो रहे नए शिक्षण सत्र में डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं। टीचिंग स्टॉफ के करीब करीब आधे पद खाली हैं।

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Arun Tiwari
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रायपुर :छत्तीसगढ़ के मेडिकल सरकारी कॉलेजों में मेडिकल स्टूडेंट तो पूरे हैं लेकिन पढ़ाने वालों की भारी कमी है। सितंबर से शुरु हो रहे नए शिक्षण सत्र में डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं। टीचिंग स्टॉफ के करीब करीब आधे पद खाली हैं।

मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 28 परसेंट सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर हैं यानी 72 फीसदी पद खाली हैं। वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के भी आधे पद रिक्त हैं। राज्य सरकार की कोशिशों के बाद भी डॉक्टर संविदा नियुक्ति में रुचि नहीं ले रहे।

ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर छत्तीसगढ़ के मेडिकल स्टूडेंट डॉक्टरी की पढ़ाई कैसे पूरी करेंगे।  छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में साढ़े छह हजार से ज्यादा मेडिकल स्टूडेंट हैं जिनकी पढ़ाई पर संकट है।  

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डॉक्टरी पढ़ाने वालों की 48 फीसदी कमी : 

छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की भारी कमी है। इस कमी से न सिर्फ अस्पताल जूझ रहे हैं बल्कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी ये गंभीर समस्या है। सरकार के पास इस समय सबसे बड़ी चुनौती डॉक्टरों की कमी पूरी करना है।

छत्तीसगढ़ में 11 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें एम्स भी शामिल हैं। एम्स का प्रबंधन केंद्र सरकार करती है जबकि 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज छत्तीसगढ़ सरकार के जिम्मे हैं। इन मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के 48 फीसदी पद खाली हैं।

सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों के 72 फीसदी तो असिस्टेंट प्रोफेसर के 51 फीसदी पद खाली हैं। अब समस्या ये है कि आधे टीचिंग स्टॉफ के साथ डॉक्टरी की पढ़ाई कैसे पूरी होगी। 

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ये है मेडिकल कॉलेज और डॉक्टरों की स्थिति : 

  • प्राध्यापक - 117 पद खाली - कमी 48.5 फीसदी
  • सह प्राध्यापक - 196 पद खाली - कमी 49.1 फीसदी
  • सहायक प्राध्यापक - 332 पद खाली - कमी 51.6 फीसदी
  • प्रदर्शक - 61 पद खाली - कमी 16.9 फीसदी
  • सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर - 375 पद खाली - कमी 72.3 फीसदी
  • जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर - 209 पद खाली - कमी 41.6 फीसदी
  • सीनियर रजिस्ट्रार - 2 पद खाली - कमी 8.7 फीसदी
  • रजिस्ट्रार - 5 पद खाली - कमी 16.1 फीसदी
  • कुल - 1290 पद खाली - कमी 48.5 फीसदी

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आदिवासी जिलों में हालत और खराब : 

आदिवासी जिलों में ये स्थिति और खराब है। कांकेर,कोरबा और महसमुंद जैसे जिलों के मेडिकल कॉलेजों में तो कहीं-कहीं इक्का दुक्का पद ही भरे हैं। 

  • कांकेर मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक के 24 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से सिर्फ तीन पद भरे हैं, बाकी 21 पद खाली हैं। 
  • सह प्राध्यापक के 33 पदों में से 12 भरे और 21 पद खाली हैं। 
  • सहायक प्राध्यापक के 46 पदों में से 12 भरे हैं बाकी 34 पद खाली हैं। 
  • महासमुंद मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक के 24 पदों में से 07 भरे, 17 पद खाली हैं। 
  • सह प्राध्यापक के 33 में से 07 भरे हैं जबिक 26 पद खाली हैं।
  • सहायक प्राध्यापक के 46 पदों में से 20 पद भरे हैं जबिक 26 पद खाली हैं। 

सरकारी कॉलेजों में इतने मेडिकल स्टूडेंट : 

  • जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज,रायपुर - 1442
  • आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स,बिलासपुर - 1010
  • बलीराम कश्यप मेडिकल कॉलेज,जगदलपुर - 675
  • लखीराम अग्रवाल मेडिकल कॉलेज,रायगढ़ - 426
  • अटलबिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज,राजनांदगांव - 642
  • देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज, अंबिकापुर - 720
  • मेडिकल कॉलेज,कांकेर - 496
  • मेडिकल कॉलेज,कोरबा - 370
  • मेडिकल कॉलेज,महासमुंद - 372
  • चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज,दुर्ग - 586

कुल स्टूडेंट - 6739 

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सरकार का जवाब : 

मेडिकल एजुकेशन के अधिकारी कहते हैं कि राज्य सरकार समय-समय पर संविदा चिकित्सकों से रिक्त पद भरने की कोशिश करती है। जिससे डॉक्टरों की कमी पूरी की जा सके। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया जारी है जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। सभी कॉलेजों में संविदा पर भी भर्ती की जा रही है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कम वेतन, भविष्य की चिंता और प्रमोशन न होने की स्थिति के कारण योग्य डॉक्टर संविदा नियुक्ति में रुचि नहीं दिखाते हैं। सरकार को चाहिए कि वो आकर्षक वेतन और प्रमोशन की बेहतर व्यवस्था लागू करे तभी यह कमी पूरी हो सकती है।

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