छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा कदम: CBSE स्कूल के छात्र अब स्टेट लेवल खेलों से नहीं होंगे वंचित

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिताओं से सीबीएसई स्कूलों के छात्रों को बाहर रखने के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिताओं से सीबीएसई स्कूलों के छात्रों को बाहर रखने के मामले में गंभीर जनहित मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इसे छात्रों के संवैधानिक अधिकार और भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हुआ मामला मानते हुए जनहित याचिका (PIL) के रूप में स्वीकार किया है।

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ब्लॉक लेवल खिलाड़ी की याचिका बनी कारण

राज्य के एक ब्लॉक स्तरीय चयनित खिलाड़ी ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसे केवल इस कारण से राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में भाग नहीं लेने दिया गया, क्योंकि वह एक सीबीएसई स्कूल का छात्र है। जबकि उसका दावा था कि वह पहले ही ब्लॉक स्तर पर चुना जा चुका था। याचिका में कहा गया कि यदि वह राज्य स्तर पर नहीं खेलेगा, तो नेशनल स्तर तक पहुंचना असंभव हो जाएगा। इससे उसका खेल कैरियर पूरी तरह प्रभावित हो जाएगा।

समानता के अधिकार का उल्लंघन

खिलाड़ी ने याचिका में यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाए गए नियमों की वजह से हजारों सीबीएसई स्कूलों के छात्र-खिलाड़ी राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं से वंचित हो रहे हैं। यह केवल अवसरों से वंचित होना नहीं, बल्कि संवैधानिक समानता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।

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पहले खारिज,बाद में कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस के पीठ के सामने हुई। प्रारंभिक तौर पर याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया था। लेकिन बाद में अदालत ने मामले की सामाजिक और संवैधानिक गंभीरता को देखते हुए इसे स्वतः संज्ञान में लेकर जनहित याचिका में परिवर्तित कर दिया।

न्यायमित्र नियुक्त और DPI से मांगा जवाब

कोर्ट ने इस मामले की निष्पक्षता और गहराई से अध्ययन हेतु एडवोकेट सूर्या कंवलकर डांगी और एडवोकेट अदिति सिंघवी को न्यायमित्र नियुक्त किया है। ये दोनों छात्र अधिकारों और नीति से जुड़े पहलुओं पर कोर्ट को सहायता देंगे। साथ ही कोर्ट ने लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) को आदेश दिया कि वे व्यक्तिगत शपथपत्र पर स्पष्ट करें कि सीबीएसई छात्रों को भाग लेने से क्यों रोका गया और इसका नीति और कानून के तहत औचित्य क्या है।

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  • हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीबीएसई छात्रों को राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिता से वंचित करने के मामले को गंभीर जनहित मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया है।

  • खिलाड़ी की याचिका बनी आधार
    एक ब्लॉक स्तरीय चयनित खिलाड़ी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसे केवल सीबीएसई स्कूल में पढ़ने के कारण प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया, जिससे उसका करियर प्रभावित हो रहा है।

  • जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू
    शुरुआती तकनीकी आधार पर याचिका खारिज होने के बावजूद कोर्ट ने इस मामले की संवैधानिक गंभीरता को समझते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया।

  • डीपीआई से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा
    हाईकोर्ट ने लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) को निर्देश दिया है कि वे स्पष्ट रूप से बताएं कि CBSE छात्रों को प्रतियोगिता से क्यों वंचित किया गया और इसकी नीति क्या है।

  • अगली सुनवाई 7 अगस्त को
    कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त 2025 को तय की है और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायमित्र भी नियुक्त किए हैं।

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अगली सुनवाई 7 अगस्त को

हाईकोर्ट (CG High Court) ने अगली सुनवाई की तारीख 7 अगस्त 2025 तय की है और DPI को निर्देशित किया है कि वह तब तक सभी जरूरी दस्तावेज और उत्तर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे।

FAQ

क्या CBSE स्कूल के छात्र राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकते हैं?
उत्तर: वर्तमान में सीबीएसई स्कूल के छात्रों को छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिताओं से वंचित किया गया है, जिस पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है।
हाईकोर्ट ने CBSE छात्रों के खेल में भागीदारी पर क्या आदेश दिया है?
उत्तर: हाईकोर्ट ने इस विषय को गंभीर जनहित का मामला मानते हुए लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) से व्यक्तिगत हलफनामे पर जवाब मांगा है और इसे छात्रों के संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा बताया है।
CBSE छात्रों को राज्य स्तरीय खेलों से क्यों वंचित किया जा रहा है?
उत्तर: यह निर्णय शासन के नियमों के तहत लिया गया है, परंतु अब इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह संविधान में समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन है।

 

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