छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर लगाई रोक, रिज्वाइंडर के लिए दो दिन का समय

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह निर्णय इन नियुक्तियों के लिए निर्धारित मापदंडों को चुनौती देने वाली तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Chhattisgarh High Court stays appointment of Information Commissioners the soote the sootr
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छत्तीसगढ़ में मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इन नियुक्तियों के लिए तय किए गए मापदंडों को चुनौती देने वाली तीन अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई के बाद, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पदों पर होने वाली नियुक्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

यह सुनवाई जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की एकल पीठ (सिंगल बेंच) में हुई, जहां याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने रिज्वाइंडर (प्रत्युत्तर) दाखिल करने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की। कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को रिज्वाइंडर पेश करने के लिए दो दिन का समय दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।

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नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल और याचिकाएं

छत्तीसगढ़ में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत कार्यरत सूचना आयोग के प्रमुख पदों—मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है। तीन अलग-अलग याचिकाओं में इन नियुक्तियों के लिए अपनाए गए मापदंडों की वैधता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताएं और नियमों का उल्लंघन किया गया है। इन याचिकाओं में यह मांग की गई है कि नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द किया जाए और नए सिरे से पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां की जाएं।

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हाईकोर्ट का सख्त रुख

जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की एकल पीठ ने याचिकाओं की सुनवाई के दौरान गंभीरता दिखाते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक याचिकाकर्ताओं के रिज्वाइंडर पर विचार नहीं हो जाता और मामले की गहन जांच नहीं हो जाती, तब तक इन पदों पर कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। यह रोक 29 मई 2025 को लगाई गई थी, और अब कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई 2025 की तारीख तय की है। इस दौरान याचिकाकर्ताओं को अपने प्रत्युत्तर (रिज्वाइंडर) दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया गया है, ताकि वे अपने तर्कों और सबूतों को मजबूती से पेश कर सकें।

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सूचना आयोग और नियुक्तियों का महत्व

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत सूचना आयोग एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो नागरिकों को सरकारी कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त इस आयोग के प्रमुख पद हैं, जिनकी जिम्मेदारी आरटीआई आवेदनों की सुनवाई और सूचना उपलब्ध कराने से संबंधित विवादों का निपटारा करना है।

इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संस्था लोकतंत्र की मजबूती में अहम भूमिका निभाती है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया में इन सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है, जिसके चलते हाईकोर्ट का हस्तक्षेप जरूरी हो गया।

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याचिकाकर्ताओं की मांग और कोर्ट की प्रक्रिया

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया में योग्यता, अनुभव और पारदर्शिता के मापदंडों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ चयनित उम्मीदवारों के चयन में पक्षपात किया गया है। कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ताओं को अपने दावों को और स्पष्ट करने के लिए रिज्वाइंडर दाखिल करने का अवसर दिया है।

दो दिन के भीतर रिज्वाइंडर दाखिल करने के बाद, 29 जुलाई को होने वाली सुनवाई में कोर्ट इस मामले में और गहनता से विचार करेगा। इस सुनवाई के दौरान यह तय होगा कि क्या नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी तरह रद्द किया जाए या इसमें सुधार के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

हाईकोर्ट का यह निर्णय छत्तीसगढ़ में सूचना के अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं और नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सूचना आयोग जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में नियुक्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना न केवल प्रशासनिक विश्वसनीयता को बढ़ाता है, बल्कि आम नागरिकों के बीच सरकार के प्रति भरोसा भी मजबूत करता है। यह मामला इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि यह उन कई उदाहरणों में से एक है, जहां नियुक्ति प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए गए हैं। हाईकोर्ट का यह कदम अन्य विभागों में भी पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए एक मिसाल बन सकता है।

अगली सुनवाई और अपेक्षाएं

29 जुलाई 2025 को होने वाली अगली सुनवाई में कोर्ट याचिकाकर्ताओं के रिज्वाइंडर और सरकार की ओर से प्रस्तुत तर्कों की समीक्षा करेगा। इस सुनवाई के परिणामस्वरूप या तो नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक हटाई जा सकती है, या इसे रद्द करके नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया जा सकता है। इस बीच, याचिकाकर्ताओं और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है और इसे सूचना के अधिकार को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।

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