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छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के खरौद में दूषित पेयजल के कारण डायरिया के बढ़ते मामलों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में ला खड़ा किया है। इस गंभीर स्थिति पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को व्यक्तिगत शपथपत्र के माध्यम से जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।
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दूषित हैंडपंप बना मुसीबत का सबब
खरौद के तिवारीपारा मोहल्ले में एक स्थानीय हैंडपंप से दूषित पानी पीने के बाद 23 से अधिक लोग डायरिया की चपेट में आ गए हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी पेयजल के लिए इसी हैंडपंप पर निर्भर है। दूषित पानी के कारण बीमार लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसने स्थानीय समुदाय में दहशत पैदा कर दी है। निवासियों ने प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि बार-बार शिकायत के बावजूद हैंडपंप की मरम्मत या पानी की जांच के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
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हाईकोर्ट की सख्ती, प्रशासन हरकत में
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य सचिव को जवाबदेही तय करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दूषित हैंडपंप को सील कर दिया गया है और स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। प्रभावित क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रही हैं और मरीजों को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग का राहत अभियान
स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। प्रभावित क्षेत्र में ओआरएस पैकेट और क्लोरीन की गोलियां वितरित की जा रही हैं। लोगों को उबला हुआ पानी पीने और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी गई है। गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों को जिला स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा, नए मामलों की पहचान के लिए स्वास्थ्य टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं।
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स्थानीय लोगों में आक्रोश
स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। तिवारीपारा के निवासी रमेश साहू ने बताया, "हमने कई बार अधिकारियों को हैंडपंप के पानी की गुणवत्ता की शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हमारे परिवार बीमार पड़ रहे हैं।" निवासियों ने मांग की है कि क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था तत्काल की जाए।
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हाईकोर्ट की कार्रवाई से उम्मीद
हाईकोर्ट के स्वतः संज्ञान लेने से स्थानीय लोगों में न्याय की उम्मीद जगी है। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को स्थिति पर नियंत्रण पाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय करने के निर्देश दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दूषित पेयजल की समस्या ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, और इस मामले में हाईकोर्ट का हस्तक्षेप प्रशासन को और जवाबदेह बनाएगा।
स्वास्थ्य सचिव के शपथपत्र पर टिकी निगाहें
हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में स्वास्थ्य सचिव के शपथपत्र पर सभी की निगाहें टिकी हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस संकट से निपटने के लिए क्या दीर्घकालिक उपाय करता है। साथ ही, इस घटना ने एक बार फिर स्वच्छ पेयजल और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता जैसे बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत को रेखांकित किया है।
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