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Photograph: (the sootr)
26 दिनों से हड़ताल पर चल रहे प्रदेशभर के एनएचएम कर्मचारियों पर सरकार के अल्टीमेटम का कोई असर नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों को मंगलवार तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन मंगलवार शाम तक कोई भी कर्मचारी अपने काम पर नहीं लौटा।
अपने अल्टीमेटम में सरकार ने कहा था कि मंगलवार तक काम पर नहीं लौटने वाले कर्मचारियों को एक महीने का नोटिस देकर नौकरी से निकाल दिया जाएगा, साथ ही उनके पद को रिक्त मानकर नई भर्तियों की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।
इधर, इस अल्टीमेटम का समय खत्म हो जाने के बाद भी स्वास्थ्य कर्मचारी लगातार अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने अभी तक उनकी एक भी मांग को लिखित रूप से स्वीकार नहीं किया है।
यह कर्मचारी अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 26 दिनों से हड़ताल पर हैं, मंगलवार को इस हड़ताल का 27वां दिन था। इधर, कांग्रेस ने सरकार के अल्टीमेटम को दमनकारी नीति बताते हुए वादाखिलाफी का आरोप लगाया है।
कर्मचारियों की हड़ताल का असर
एनएचएम कर्मचारी हड़ताल छग के चलते स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। खासकर, डेटा एंट्री और डेली रिपोर्टिंग में भारी कमी आई है। इससे राज्य के स्वास्थ्य आंकड़ों पर असर पड़ा है, और विभागीय कामकाजी प्रक्रिया में भी रुकावट आई है। केवल 38% कर्मचारियों की उपस्थिति स्वास्थ्य केंद्रों में दर्ज की गई है, जबकि 60% से ज्यादा संविदा कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
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हड़ताल से प्रभावित सेवाएं
एनएचएम के तहत कर्मचारियों का मुख्य कार्य शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, मलेरिया और टीबी की रोकथाम करना, और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इस हड़ताल के कारण प्रदेश में इन सभी कार्यों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विशेषकर, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से ठप पड़ी हैं।
एनएचएम कर्मचारी हड़ताल और सरकार के अल्टीमेटम को ऐसे समझेंस्वास्थ्य विभाग की चेतावनी: एनएचएम के 16 हजार कर्मचारियों को 16 सितंबर तक काम पर लौटने की चेतावनी, न लौटने पर एक महीने की नोटिस देकर नौकरी से निकाला जाएगा। हड़ताल की वजह: कर्मचारियों की 10 सूत्री मांगों को लेकर 18 अगस्त से हड़ताल जारी है, जिसमें संविलियन, स्थायीकरण, और लंबित वेतन वृद्धि शामिल हैं। बर्खास्तगी और इस्तीफे: हड़ताल से न लौटने पर राज्य सरकार ने 25 कर्मचारियों को बर्खास्त किया, इसके बाद सभी एनएचएम कर्मचारियों ने इस्तीफा सौंपा। सेवाओं पर असर: हड़ताल के कारण शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। प्रशासनिक चेतावनी का प्रभाव: प्रशासनिक चेतावनी के बाद कुछ कर्मचारी काम पर लौटे, लेकिन जो नहीं लौटे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। |
एनएचएम कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
एनएचएम कर्मचारी संघ ने अपनी हड़ताल के दौरान सरकार से निम्नलिखित प्रमुख मांगों को पूरा करने की मांग की है:
संविलियन और स्थायीकरण
पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
ग्रेड पे निर्धारण
कार्य मूल्यांकन में पारदर्शिता
27% लंबित वेतन वृद्धि
नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण
अनुकंपा नियुक्ति
मेडिकल अवकाश की सुविधा
स्थानांतरण नीति का प्रावधान
न्यूनतम 10 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा
बर्खास्तगी और इस्तीफे की स्थिति
NHM संविदा कर्मचारी द्वारा हड़ताल से पीछे न हटने पर, राज्य सरकार ने 25 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद पूरे प्रदेश के एनएचएम कर्मचारियों ने अपनी इस्तीफे की प्रतियां जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सौंप दी। यह कदम कर्मचारियों के बीच गहरे असंतोष का प्रतीक था।
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चेतावनी से बढ़ सकता है संघर्ष
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को दी गई बर्खास्तगी की चेतावनी से कर्मचारियों और सरकार के बीच संघर्ष और बढ़ सकता है। जानकारों के मुताबिक, कर्मचारी लंबे समय से अपनी दस सूत्री मांगों को लेकर संघर्षरत हैं। इस बार कर्मचारियों ने दबाव बनाने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लिया है। इधर, बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के चलते सरकार भी दबाव में है और वह लोगों को हो रही परेशानियों को जल्द ठीक करना चाहती है। इस अल्टीमेटम के चलते दोनों पक्षों के बीच संघर्ष बढ़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।