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Photograph: (the sootr)
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन(एनएचएम) से जुड़े कर्मचारियों द्वारा बीते 21 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है। इस हड़ताल में सोमवार को पूरे प्रदेश के 16 हजार से अधिक कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दिया। अकेले अंबिकापुर में ही 590 एएनएम कर्मचारियों ने कर्मचारियों ने यह इस्तीफा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपा।
इन आंदोलनरत कर्मचारियों द्वारा मंगलवार से जलसत्याग्रह की शुरुआत भी की जा रही है। इस आंदोलन में हड़ताली कर्मचारियों द्वारा मंत्रियों और विधायकों के बंगलों का घेराव भी किया जा रहा है। एनएचएम कर्मचारियों ने विधानसभा के घेराव की चेतावनी भी दी है। साथ ही, उग्र प्रदर्शन की बात भी यह आंदोलनरत कर्मचारी कर रहे हैं।
यह कर्मचारी राज्य सरकार द्वारा चुनाव घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही, यह कर्मचारी बर्खास्त किए गए साथी कर्मचारियों की फिर से बहाली की मांग पर भी अड़े हैं।
एनएचएम कर्मियों की हड़ताल का कारण
1. नियमितीकरण की मांग
एनएचएम कर्मियों की सबसे बड़ी मांग नियमितीकरण है। उनका आरोप है कि सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में नियमितीकरण का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कर्मियों का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से एनएचएम के तहत काम कर रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें स्थायी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिला।
2. बर्खास्तगी का विरोध
हड़ताल का नेतृत्व कर रहे 25 कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने के विरोध में भी आंदोलन तेज हुआ है। कर्मचारियों का कहना है कि बिना किसी कारण के इन कर्मचारियों को नौकरी से निकालना गलत है, और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।
3. चुनावी वादों का पालन न होना
कर्मियों का आरोप है कि चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के वादे किए थे, लेकिन अब तक उन वादों को पूरा नहीं किया गया है।
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हड़ताल का प्रभाव भगवान के भरोसे मरीज
1. सरकारी अस्पतालों की स्थिति
हड़ताल के कारण, अस्पतालों में इलाज की स्थिति बदतर हो गई है। मरीजों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है। कई जगहों पर स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं, और डॉक्टरों व नर्सों की कमी के कारण स्थिति और बिगड़ गई है।
2. ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का आभाव अधिक महसूस हो रहा है। गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं मिल रही है। बच्चों का टीकाकरण भी रुक चुका है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।
3. आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का ठप होना
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में नियमित कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण स्वास्थ्य योजनाएं ठप हो गई हैं। इसका असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर सबसे ज्यादा पड़ा है, जिनका इलाज रुक चुका है।
एनएचएम कर्मियों का इस्तीफा और हड़ताल को ऐसे समझेंछत्तीसगढ़ के 16000 एनएचएम कर्मियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर सामूहिक इस्तीफा सौंपा, हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ के कर्मियों का आरोप है कि सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में नियमितीकरण का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं किया गया। हड़ताल के कारण अस्पतालों में इलाज की स्थिति खराब, ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इलाज में कठिनाई। सरकार ने 10 में से 4 मांगों को स्वीकार किया, जैसे सीआर में पारदर्शिता और 5 लाख की कैशलेस इलाज सुविधा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दूसरे राज्यों के नियमों का अध्ययन करने के बाद छत्तीसगढ़ में भी सुधार लागू किया जा सकता है। |
सरकार ने कहा एनएचएम कर्मियों का नियमितीकरण संभव नहीं
1. सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि एनएचएम कर्मियों का नियमितीकरण संभव नहीं है क्योंकि इन कर्मियों के लिए कोई स्थायी पद सृजित नहीं किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने इस बारे में कहा कि वे अन्य राज्यों के नियमों का अध्ययन कर रहे हैं और अगर छत्तीसगढ़ में इसे लागू करने में कोई समस्या नहीं हुई, तो वे इसे लागू करने पर विचार करेंगे।
2. कुछ मांगों को स्वीकार किया गया
हालांकि, सरकार ने कर्मचारियों की कुछ मांगों को स्वीकार किया है। इनमें सीआर में पारदर्शिता, 30 दिन की छुट्टी, और 5 लाख की कैशलेस इलाज की सुविधा शामिल है। इसके अलावा, वेतन और अनुकंपा नियुक्ति पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई गई है।
3. वैकल्पिक व्यवस्था का प्रस्ताव
सरकार ने यह भी कहा कि हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। सीएमएचओ ने यह भी कहा कि हड़ताल समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य योजनाओं को फिर से शुरू किया जाएगा।
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स्वास्थ्य मंत्री ने दिए संकेत, सरकार कर रही मंथन
एनएचएम कर्मचारियों की लगातार जारी हड़ताल और सामूहिक इस्तीफों के बीच सरकार इनसे लगातार संपर्क में है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने आंदोलनरत कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा की। उन्होंने इस चर्चा में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार अन्य राज्यों द्वारा अपनाई गई नीतियों और नियमों का अध्ययन कर रही है। जल्द ही इसे लेकर राज्य में भी नीति बनाने और नियमितीकरण का रास्ता खोज लिया जाएगा।