मां-बेटी की अनुकंपा नियुक्ति की याचिका खारिज, हाईकोर्ट बोला- 11 साल बाद आवेदन अमान्य

एसईसीएल कर्मचारी की मौत के 11 साल बाद मां-बेटी ने अनुकंपा नियुक्ति मांगी, लेकिन हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। अदालत ने कहा – “इतने वर्षों बाद आवेदन करने से योजना की भावना खत्म हो जाती है।”

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Harrison Masih
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Bilaspur. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में विवाहित बेटी और उसकी मां द्वारा दायर अनुकंपा नियुक्ति की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि कर्मचारी की मृत्यु के 11 साल बाद किया गया आवेदन कानूनन बहुत देर से किया गया है, जिससे अनुकंपा नियुक्ति का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो गया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला एसईसीएल (SECL) में कार्यरत एसडीएल ऑपरेटर स्व. इंजार साय से जुड़ा है। इंजार साय की 14 अगस्त 2006 को ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई थी। उनकी मौत के बाद परिवार में उत्तराधिकार को लेकर विवाद शुरू हो गया क्योंकि उनकी दो पत्नियाँ थीं - शांति देवी और इंद्रकुंवर। 2009 में जब शांति देवी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, तो एसईसीएल ने इसे ठुकरा दिया, यह कहते हुए कि “जब तक दोनों पत्नियों के बीच का विवाद अदालत से स्पष्ट नहीं होता, तब तक किसी को नौकरी नहीं दी जा सकती।”

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लंबा चला मुकदमा, फिर बेटी ने किया आवेदन

परिवार का विवाद सिविल कोर्ट में सालों तक चलता रहा। इसी बीच, दूसरी पत्नी इंद्रकुंवर ने 17 अप्रैल 2017 को अपनी विवाहित बेटी प्रवीण के नाम से अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन किया।

लेकिन एसईसीएल ने आवेदन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि आवेदन कर्मचारी की मृत्यु के 11 साल बाद किया गया है। आवेदिका विवाहित है, इसलिए आश्रित की परिभाषा में नहीं आती। एनसीडब्ल्यूए (NCWA) के नियमों के मुताबिक मृत्यु की तारीख से 5 साल के भीतर ही आवेदन किया जा सकता है।

हाई कोर्ट की सिंगल बेंच का निर्णय

मां-बेटी ने एसईसीएल के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने कहा- “अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को तत्काल आर्थिक राहत देना है। 11 साल बाद आवेदन करने से यह उद्देश्य खत्म हो जाता है।”इस आधार पर कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति की याचिका खारिज कर दिया।

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डिवीजन बेंच ने भी बरकरार रखा फैसला

इसके बाद मां-बेटी ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की, लेकिन अदालत ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराया। डिवीजन बेंच ने कहा - “परिवार इतने वर्षों तक बिना सहायता के जीवन-यापन करता रहा, इसलिए अब अनुकंपा नियुक्ति का औचित्य नहीं रह गया है।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सिंगल बेंच के आदेश में कोई तथ्यात्मक या कानूनी गलती नहीं है, इसलिए उसमें हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है।

क्या है अनुकंपा नियुक्ति का नियम

अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate appointment) का उद्देश्य यह होता है कि कर्मचारी की असमय मृत्यु के बाद उसके परिवार को तुरंत आर्थिक सहारा मिल सके। एनसीडब्ल्यूए के प्रावधानों के तहत, मृत्यु की तिथि से 5 साल के भीतर आवेदन करना जरूरी होता है। इसके बाद किया गया आवेदन मान्य नहीं होता।

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संक्षेप में

  • कर्मचारी: स्व. इंजार साय (एसडीएल ऑपरेटर, एसईसीएल)
  • मृत्यु: 14 अगस्त 2006
  • आवेदन: 17 अप्रैल 2017 को (11 साल बाद)
  • आवेदक: पत्नी इंद्रकुंवर और विवाहित बेटी प्रवीण
  • फैसला: सिंगल बेंच और डिवीजन बेंच दोनों ने याचिका खारिज की
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