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Bilaspur. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेलवे कर्मचारी को बड़ी राहत देते हुए विभागीय कार्रवाई में दी गई सजा में आंशिक बदलाव किया है। अदालत ने कहा कि किसी कर्मचारी को सीधे सबसे निचले पद पर डिमोट करना नियमों के खिलाफ है। कोर्ट ने कर्मचारी को उसके ठीक निचले पद पर डिमोशन देने का निर्देश जारी किया है।
क्या है पूरा मामला?
बिलासपुर के एसईसीआर कॉलोनी निवासी सीसीएस राव, जो रेलवे में जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) के पद पर कार्यरत थे, उनके खिलाफ 15 जुलाई 2013 को एक चार्जशीट जारी की गई थी। चार्जशीट में उन पर 16 जून 2013 से 15 जुलाई 2013 तक अनाधिकृत अनुपस्थित रहने का आरोप था।
विभागीय जांच के बाद अनुशासन समिति ने 11 मार्च 2014 को उन्हें सेवा से हटाने की सजा सुना दी थी। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने अपील की।
सजा में संशोधन और डिमोशन का विवाद
अपीलीय प्राधिकारी ने 5 जून 2014 को सजा में संशोधन करते हुए सीसीएस राव को जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल से टेक्नीशियन ग्रेड-3 के पद पर तीन साल के लिए डिमोट कर दिया। साथ ही, इस अवधि में इंक्रीमेंट रोकने का भी आदेश दिया गया।
इसके बाद कर्मचारी ने पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिस पर डिमोशन की अवधि 3 साल से घटाकर 1 साल कर दी गई।
CAT से हाईकोर्ट तक मामला
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) जबलपुर बेंच ने 8 नवंबर 2024 को पुनरीक्षण प्राधिकारी के आदेश को सही ठहराया और याचिका खारिज कर दी। इसके बाद कर्मचारी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (CG High Court) में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस संजय के अग्रवाल और राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा — “जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल के पद से सीधे सबसे निचले पद टेक्नीशियन ग्रेड-3 पर डिमोशन नियम विरुद्ध है।”
अदालत ने कर्मचारी को उसके ठीक निचले पद मास्टर क्राफ्ट्समैन पर एक साल के लिए डिमोट करने का निर्देश दिया। इसके अलावा पुनरीक्षण प्राधिकारी द्वारा लगाई गई बाकी सभी शर्तें बरकरार रखी गईं। सजा पूरी होने के बाद उन्हें उनके मूल पद जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल पर बहाल करने का आदेश भी दिया गया।
मामले को 3 पॉइंट्स में समझें:
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कर्मचारी के लिए राहत, विभाग के लिए नसीहत
रेलवे कर्मचारियों का डिमोशन पर यह फैसला न सिर्फ सीसीएस राव के लिए राहत भरा है, बल्कि यह विभागीय कार्रवाई में न्यायिक सीमाओं और प्रक्रियागत सटीकता की भी याद दिलाता है। कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी सजा का निर्धारण न्यायसंगत और नियमसम्मत होना चाहिए।
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