कर्मचारी के प्रमोशन के लिए शर्तें तय करना सरकार का अधिकार... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनिल सिन्हा बनाम राज्य सरकार मामले में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि गंभीर वित्तीय आपत्तियों या लंबित जांच की स्थिति में अधिकारी को सशर्त पदोन्नति दी जा सकती है।

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Harrison Masih
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Bilaspurछत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में स्पष्ट किया है कि राज्य के हितों की रक्षा के लिए पदोन्नति (Promotion) के समय शर्तें लगाई जा सकती हैं, खासकर तब जब किसी अधिकारी के खिलाफ गंभीर वित्तीय आपत्तियाँ या लंबित जांचें चल रही हों। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में प्रमोशन देना या रोकना, जांच के परिणाम पर निर्भर करेगा।

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अनिल सिन्हा बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने अनिल सिन्हा बनाम छत्तीसगढ़ राज्य केस में दिया। याचिकाकर्ता अनिल सिन्हा, विधि एवं विधायी कार्य विभाग में अवर सचिव (Under Secretary) के पद पर कार्यरत थे। उन्हें सशर्त पदोन्नति दी गई थी, जिसे उन्होंने पहले स्वीकार किया लेकिन बाद में अदालत में चुनौती दी।

प्रमोशन स्वीकारने के बाद याचिका खारिज

अनिल सिन्हा ने प्रमोशन आदेश की शर्तों को हटाने के लिए आवेदन दिया था, जिसे सरकार ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में नई रिट याचिका दायर की, लेकिन सिंगल बेंच ने इसे खारिज कर दिया।

इस निर्णय के खिलाफ उन्होंने डिवीजन बेंच में अपील की, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “जब कोई कर्मचारी पदोन्नति स्वीकार कर उसका लाभ प्राप्त कर चुका है, तो वह बाद में उसकी शर्तों को चुनौती नहीं दे सकता।”

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मुख्य सचिव ने तय की थीं दो शर्तें

हाईकोर्ट (CG High Court) के निर्देश पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समीक्षा डीपीसी (Departmental Promotion Committee) बैठक हुई, जिसमें अनिल सिन्हा की वार्षिक गोपनीय रिपोर्टों (ACR) का पुनर्मूल्यांकन किया गया। उप सचिव के पद पर प्रमोशन की सिफारिश के साथ 12 मई 2021 को मंजूरी और 17 मई 2021 को आदेश जारी किया गया।

दो प्रमुख शर्तें तय की गईं —

  • प्रमोशन उसके पूर्ववर्ती वित्तीय आपत्तियों के अंतिम निर्णय पर निर्भर रहेगा।
  • अगर निर्णय उसके विरुद्ध हुआ, तो पदोन्नति स्वतः निरस्त मानी जाएगी।

वार्षिक वेतन वृद्धि तभी दी जाएगी जब महालेखाकार कार्यालय ₹10,84,868 की अधिक भुगतान की जांच पूरी कर लेगा।

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ऐसे समझें पूरा मामला

1️⃣ मामला किससे जुड़ा था:
छत्तीसगढ़ के विधि एवं विधायी कार्य विभाग के अवर सचिव अनिल सिन्हा ने अपनी पदोन्नति पर लगी शर्तों को हटाने की मांग की थी।

2️⃣ हाईकोर्ट ने क्या कहा:
खंडपीठ ने कहा कि — यदि किसी कर्मचारी पर गंभीर वित्तीय आपत्ति या जांच लंबित है, तो सशर्त पदोन्नति (Conditional Promotion) देना वैध है।

3️⃣ कोर्ट का मुख्य तर्क:
कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार को अपने हितों की रक्षा के लिए पदोन्नति में शर्तें लगाने का अधिकार है।

4️⃣ पहले हुई प्रक्रिया:
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समीक्षा डीपीसी (Departmental Promotion Committee) की बैठक हुई थी। उसमें अनिल सिन्हा को उप सचिव के पद पर पदोन्नति की सिफारिश की गई, लेकिन दो शर्तों के साथ।

5️⃣ कोर्ट का अंतिम फैसला:
अनिल सिन्हा ने जब पदोन्नति स्वीकार कर ली और उसका लाभ उठा लिया, तो अब वह शर्तों को चुनौती नहीं दे सकते।

कोर्ट का तर्क

खंडपीठ ने कहा कि — “राज्य के हितों की रक्षा के लिए गंभीर वित्तीय आपत्तियों से संबंधित जांच लंबित रहने के दौरान सशर्त पदोन्नति पूरी तरह वैध है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रशासनिक पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन के लिए ऐसे नियम आवश्यक हैं।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के इस फैसले ने यह साफ कर दिया है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी पर वित्तीय गड़बड़ी या लंबित जांच है, तो राज्य सरकार को अधिकार है कि वह सशर्त प्रमोशन दे या रोक दे।यह फैसला भविष्य में सरकारी विभागों के प्रमोशन मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण नज़ीर (precedent) बनेगा।

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FAQ

अनिल सिन्हा केस में कोर्ट का क्या फैसला आया?
कोर्ट ने माना कि अनिल सिन्हा ने अपनी पदोन्नति स्वीकार कर ली थी और उसका लाभ भी उठा लिया था, इसलिए अब वे पदोन्नति की शर्तों को चुनौती नहीं दे सकते।
सरकारी कर्मचारी प्रमोशन पर CG हाईकोर्ट का क्या फैसला है?
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ गंभीर वित्तीय आपत्ति या जांच लंबित है, तो उसे सशर्त पदोन्नति दी जा सकती है। यह फैसला राज्य के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह वैध माना गया है।
जस्टिस रमेश सिन्हा CG High Court सरकारी कर्मचारी प्रमोशन Bilaspur छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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