बिना कारण पति से अलग होने पर नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की पत्नी की याचिका

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ की महिला की अपील खारिज कर यह स्पष्ट किया कि अगर पत्नी बिना पर्याप्त और ठोस कारण पति का साथ छोड़ती है, तो वह भरण-पोषण भत्ता पाने की पात्र नहीं होगी।

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Harrison Masih
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Bilaspur. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि यदि पत्नी बिना ठोस और वैध कारण पति का साथ छोड़ देती है, तो उसे गुजारा भत्ता का अधिकार नहीं मिलेगा। यह निर्णय रायगढ़ की एक महिला की अपील पर आया, जिसने पारिवारिक न्यायालय (फैमिली कोर्ट) के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उसे भरण-पोषण भत्ता देने से मना किया गया था।

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मामले का विवरण

रायगढ़ की महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति और ससुरालवालों ने उसे दहेज की मांग और प्रताड़ना के चलते मायके भेज दिया। वहीं पति ने तर्क दिया कि पत्नी अपनी मर्जी से अलग रह रही है और इसके पीछे कोई वैध या पर्याप्त कारण नहीं है। फैमिली कोर्ट ने महिला को भरण-पोषण भत्ता देने से इंकार किया था।

महिला ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह स्पष्ट किया कि यदि पत्नी बिना ठोस कारण पति से अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण भत्ता पाने की पात्र नहीं है (Raigarh Divorce Case)।

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हाईकोर्ट का तर्क और निर्णय

हाईकोर्ट ने माना कि महिला ने अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया। केवल यह दावा करना कि पति-पत्नी के बीच मनमुटाव या असहजता थी, अलग रहने का कारण नहीं माना जाएगा। अदालत ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए महिला की अपील को खारिज कर दिया।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भरण-पोषण का अधिकार केवल तब लागू होता है, जब पत्नी यह साबित कर सके कि उसे अत्याचार, असुरक्षा या गंभीर उत्पीड़न जैसी परिस्थितियों के कारण पति के साथ नहीं रहना पड़ा।

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रायगढ़ तलाक केस: 5 पॉइंट्स में समझें मामला

  1. फैसला: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी बिना ठोस और वैध कारण पति का साथ छोड़ती है तो उसे भरण-पोषण भत्ता का अधिकार नहीं होगा।

  2. अपीलकर्ता: रायगढ़ की महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उसे भरण-पोषण भत्ता देने से मना किया गया था।

  3. महिला का आरोप: पति और ससुरालवालों ने दहेज की मांग और प्रताड़ना के चलते उसे मायके भेजा।

  4. पति का पक्ष: पत्नी अपनी मर्जी से अलग रह रही है, और अलग रहने का कोई पर्याप्त या वैध कारण नहीं है।

  5. हाईकोर्ट का तर्क: केवल मनमुटाव या असहजता अलग रहने का कारण नहीं मानी जाएगी; भरण-पोषण भत्ता केवल तब मिलेगा जब पत्नी उत्पीड़न, असुरक्षा या गंभीर अत्याचार साबित कर सके।

महत्व और प्रभाव

इस फैसले से पारिवारिक मामलों में यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भरण-पोषण के लिए ठोस सबूत और वैध कारण अनिवार्य हैं। केवल व्यक्तिगत मनमुटाव या असहजता के आधार पर भरण-पोषण भत्ता का दावा स्वीकार्य नहीं होगा।

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FAQ

रायगढ़ तलाक केस में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला क्या है?
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी बिना ठोस कारण पति का साथ छोड़ती है, तो वह भरण-पोषण भत्ता पाने की पात्र नहीं होगी।
भरण-पोषण भत्ता कब लागू होता है?
भरण-पोषण भत्ता केवल तब मिलेगा जब पत्नी यह साबित कर सके कि उसे उत्पीड़न, असुरक्षा या गंभीर अत्याचार के कारण पति के साथ नहीं रहना पड़ा; केवल मनमुटाव या असहजता के आधार पर यह दावा स्वीकार्य नहीं है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला Raigarh Divorce Case रायगढ़ तलाक केस छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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