हाईकोर्ट के आदेश को महासमुंद एसपी ने नहीं माना, IPS आशुतोष सिंह की बढ़ी मुश्किलें
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है। यह नोटिस कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर जारी किया गया।
CG News.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है। यह नोटिस कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर जारी किया गया। याचिकाकर्ता नरेन्द्र यादव को पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर सेवा से हटा दिया था।
इस मामले में 21 फरवरी 2025 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की। आरक्षक को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश निरस्त कर दिया था। कोर्ट ने यादव को सेवा में बहाल करने का आदेश दिया था। हालांकि, 90 दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद भी यादव को पद पर बहाल नहीं किया गया।
कोर्ट की अवमानना पर क्या है सजा?
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं, अभिषेक पांडेय और स्वाति कुमारी ने कोर्ट में तर्क दिया। अपने तर्क में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। इसके अलावा, उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करने पर दोषी अधिकारियों को 6 महीने का कारावास या 2000 रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
चरणबद्ध तरीके से हाईकोर्ट ने महासमुंद पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह को आदेश का पालन करने के लिए कहा। न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अवमानना याचिका में यह भी कहा गया कि यादव को बिना किसी कारण के परेशान किया जा रहा है, और यह न्यायिक आदेशों का उल्लंघन है।
अवमानना नोटिस को इन पॉइंट्स में समझें
अवमानना नोटिस: महासमुंद एसपी आशुतोष सिंह के खिलाफ उच्च न्यायालय ने अवमानना नोटिस जारी किया।
कोर्ट का आदेश: 21 फरवरी 2025 को कोर्ट ने यादव की बर्खास्तगी का आदेश निरस्त कर उसे बहाल करने का निर्देश दिया।
नोटिस का कारण: एसपी ने कोर्ट के आदेश को 90 दिनों बाद भी लागू नहीं किया।
अवमानना की सजा: दोषी अधिकारियों को 6 महीने की सजा या 2000 रुपए जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
याचिकाकर्ता की याचिका: यादव ने अवमानना याचिका दायर की क्योंकि उसे बिना कारण परेशान किया जा रहा था।
21 फरवरी 2025 को न्यायालय ने यादव की सेवा से बर्खास्त करने के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही आदेश दिया के आरक्षक को पद पर बहाल किया जाए। इस आदेश का पालन न होने पर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की, जिसके बाद यह नोटिस जारी किया गया।