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छत्तीसगढ़ में शहरी सार्वजनिक परिवहन की बदहाल व्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। बिलासपुर में सिटी बसों की खस्ताहाल स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आम जनता को लगातार आवागमन में दिक्कत हो रही है, लेकिन व्यवस्था सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी से कोर्ट असंतुष्ट नजर आया और जल्द से जल्द सुधार करने के निर्देश दिए।
सुनवाई के दौरान क्या हुआ
मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। शासन की तरफ से बताया गया कि प्रदेश में शहरी परिवहन व्यवस्था वर्ष 2012-13 में शुरू की गई थी। बिलासपुर में कुल 9 सिटी बसें आवंटित की गई थीं, जिनमें से वर्तमान में केवल 5 बसें ही सड़क पर संचालित हो रही हैं। शेष बसें मरम्मत के लिए खड़ी हैं।
पुरानी बसों और कोविड का हवाला
राज्य सरकार ने कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान कोविड महामारी और लॉकडाउन के चलते बसों का संचालन बंद करना पड़ा था। इसके कारण बसें खड़ी-खड़ी खराब हो गईं और अब कई बसें इतनी जर्जर हालत में हैं कि उन्हें मरम्मत में भी दिक्कत हो रही है। ये सभी बसें 2014-15 में खरीदी गई थीं और अब करीब 10 वर्ष पुरानी हो चुकी हैं।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने शासन की दी गई जानकारी को "असंतोषजनक" करार देते हुए कहा कि बिलासपुर जैसे बड़े शहर में इस तरह की परिवहन व्यवस्था आम नागरिकों के लिए बड़ी परेशानी बन चुकी है। कोर्ट ने निर्देश दिए कि इस स्थिति में जल्द सुधार लाया जाए। मामले की अगली सुनवाई अब 10 सितंबर 2025 को होगी।
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ई-बसें बन सकती हैं समाधान
शासन ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना के तहत छत्तीसगढ़ को 240 इलेक्ट्रिक बसों की मंजूरी मिली है। इसमें से 140 बसें दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर और कोरबा में चलाई जाएंगी, जबकि रायपुर के लिए 100 मिडी बसें स्वीकृत की गई हैं। छत्तीसगढ़ को इस योजना के अंतर्गत ₹67.40 करोड़ की राशि मिली है, जिसमें ₹36.62 करोड़ बस डिपो और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए है। संभावना है कि दीपावली के बाद इन ई-बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
शहरी क्षेत्रों में आम लोगों की दैनिक आवाजाही में आ रही दिक्कतों को देखते हुए हाईकोर्ट की यह सख्ती एक ज़रूरी कदम माना जा रहा है। अगर शासन ने समय रहते सुधार नहीं किया, तो कोर्ट आगे और कड़े निर्देश दे सकता है। दिवाली के बाद अगर ई-बसें शुरू होती हैं, तो लोगों को काफी राहत मिल सकती है।
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