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Raipur. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 26 दिसंबर 2025 को एक और बड़ा कदम उठाते हुए सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दाखिल की है। ईडी की इस ताजा चार्जशीट में घोटाले के दायरे को और व्यापक बताया गया है, जिसमें 59 नए आरोपियों को शामिल किया गया है।
इसके साथ ही इस केस में अब तक कुल 81 आरोपी बनाए जा चुके हैं। ईडी की जांच में सामने आया है कि 2019 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट सक्रिय था, जिसने राज्य की शराब नीति को अपने फायदे के लिए तोड़-मरोड़ कर लागू किया।
इस पूरे नेटवर्क के जरिए करीब 2,883 करोड़ रुपए की अपराध आय (Proceeds of Crime – POC) अर्जित की गई।
संगठित सिंडिकेट का खुलासा
ईडी के अनुसार, इस घोटाले के पीछे एक सुनियोजित नेटवर्क काम कर रहा था, जिसमें ब्यूरोक्रेट्स, राजनेता और निजी कारोबारी शामिल थे। सिंडिकेट में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी, कवासी लखमा, चैतन्य बघेल, सौम्या चौरसिया और निरंजन दास जैसे नाम सामने आए हैं।
यह नेटवर्क अवैध कमीशन, बिना हिसाब की शराब बिक्री और लाइसेंस आधारित वसूली पर आधारित था, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया गया।
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ऐसे 4 तरीकों से की गई हजारों करोड़ की अवैध कमाई
PART-A: अवैध कमीशन
शराब सप्लायर्स से आधिकारिक बिक्री पर रिश्वत वसूली गई। “लैंडिंग प्राइस” को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर सरकारी खजाने से ही कमीशन निकालने की व्यवस्था बनाई गई।
PART-B: बिना हिसाब की शराब बिक्री
डुप्लीकेट होलोग्राम और नकद में खरीदी गई शराब की बोतलों को सरकारी दुकानों से ऑफ-द-बुक्स बेचा गया। इससे आबकारी शुल्क और टैक्स की पूरी तरह चोरी की गई।
PART-C: कार्टेल कमीशन
डिस्टिलर्स से हर साल मोटा कमीशन वसूला गया, ताकि उनका बाजार हिस्सा बना रहे और उनके संचालन लाइसेंस सुरक्षित रहें।
FL-10A लाइसेंस मॉडल
विदेशी शराब निर्माताओं से कमीशन वसूलने के लिए FL-10A नाम की नई लाइसेंस कैटेगरी बनाई गई। इसके तहत मुनाफे का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा सीधे सिंडिकेट तक पहुंचाया गया।
कौन-कौन हैं आरोपी?
ब्यूरोक्रेट्स: पूर्व IAS अनिल टुटेजा, तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास (IAS) और CSMCL के तत्कालीन एमडी अरुण पति त्रिपाठी (ITS) पर शराब नीति में हेरफेर और अवैध वसूली का आरोप है। इसके अलावा 30 फील्ड लेवल आबकारी अधिकारी, जिनमें जनार्दन कौरव और इकबाल अहमद खान शामिल हैं, को भी आरोपी बनाया गया है।
राजनीतिक चेहरे: तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, और सीएमओ में उप सचिव रही सौम्या चौरसिया पर नीति को मंजूरी देने, अवैध रकम के इस्तेमाल और कैश मैनेजमेंट के आरोप लगाए गए हैं।
निजी व्यक्ति और कंपनियां
सिंडिकेट की अगुआई कारोबारी अनवर ढेबर और उनके सहयोगी अरविंद सिंह ने की। निजी डिस्टिलरी कंपनियों—छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन मर्चेंट्स और वेलकम डिस्टलरीज—पर अवैध शराब निर्माण और कमीशन भुगतान में शामिल होने का आरोप है।
डुप्लीकेट होलोग्राम सप्लाई करने वाले विधु गुप्ता और कैश कलेक्शन से जुड़े सिद्धार्थ सिंघानिया भी आरोपियों में शामिल हैं।
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अब तक 9 बड़ी गिरफ्तारियां
ईडी ने PMLA एक्ट, 2002 के तहत अब तक 9 प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी, कवासी लखमा, चैतन्य बघेल, सौम्या चौरसिया और निरंजन दास शामिल हैं। कुछ आरोपी जमानत पर हैं, जबकि कुछ अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
382 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त
ईडी अब तक 382.32 करोड़ रुपए की संपत्तियां अटैच कर चुकी है। इनमें 1041 चल-अचल संपत्तियां शामिल हैं, जो ब्यूरोक्रेट्स, नेताओं और निजी संस्थाओं से जुड़ी हैं। जब्त संपत्तियों में रायपुर का होटल वेनिंगटन कोर्ट, ढेबर और बघेल परिवार से जुड़ी सैकड़ों संपत्तियां भी शामिल हैं।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले की जांच ईडी द्वारा की जा रही है। इस मामले में ईडी ने ACB में FIR भी दर्ज कराई है। जांच में सामने आया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, CSMCL के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया। इस केस में राजनेता, आबकारी विभाग के अधिकारी और कारोबारी सहित कई लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज है।
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