3200 करोड़ का शराब घोटाला: भाटिया को मिले 14 करोड़... EOW ने पेश किया छठवां अभियोग पत्र

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच कर रही EOW ने रायपुर कोर्ट में छठवां अभियोग पत्र पेश किया है। जांच में खुलासा हुआ कि प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं के सिंडिकेट ने शराब सप्लाई, कमीशन और अवैध बिक्री के जरिए करोड़ों का घोटाला किया।

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Harrison Masih
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CG Liquor Scam Chargesheet: कांग्रेस सरकार में हुए बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने मंगलवार को विशेष न्यायालय रायपुर में छठवां अभियोग पत्र पेश किया। इसमें जांच एजेंसी ने उस पूरे सिंडिकेट और घोटाले के पैटर्न का खुलासा किया है, जिसने वर्षों तक सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग कर अरबों रुपए का घोटाला किया।

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सिंडिकेट का खुलासा: अफसर और कारोबारी मिले साथ

EOW के अनुसार, तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास, अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह ने मिलकर एक संगठित सिंडिकेट तैयार किया। 

इस सिंडिकेट के माध्यम से शासकीय शराब दुकानों की सप्लाई पर कमीशन, डिस्टलरी से अतिरिक्त शराब निर्माण कर अवैध बिक्री, और विदेशी शराब की सप्लाई पर अवैध वसूली की व्यवस्था की गई।

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ठेका कंपनियों के जरिए 248 करोड़ का नुकसान

जांच में यह भी सामने आया कि वर्ष 2020-21 में नई आबकारी नीति लागू की गई थी। इसके तहत विदेशी शराब सप्लाई का ठेका तीन प्राइवेट कंपनियों – ओम साई ब्रेवरेज प्रा.लि., नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रा.लि. और दिशिता वेंचर्स प्रा.लि. – को दिया गया। EOW का दावा है कि इन कंपनियों को लाइसेंस देने से सरकार को लगभग 248 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।

संजय-मनीष-अभिषेक को मिला 11 करोड़

ओम साई ब्रेवरेज से जुड़े विजय कुमार भाटिया को छुपा लाभार्थी बताया गया है, जिसने डमी डायरेक्टर्स और अलग-अलग खातों के जरिये करोड़ों रुपए निकाले। वहीं नेक्सजेन पावर इंजिटेक से जुड़े संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह को लगभग 11 करोड़ रुपए का लाभ मिला।

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला क्या है?

  1. सिंडिकेट की भूमिका
    – कांग्रेस सरकार के समय प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं ने मिलकर एक सिंडिकेट बनाया।
    – इस सिंडिकेट ने सरकारी शराब दुकानों और डिस्टलरी पर कब्जा जमाकर अवैध कमाई की।

  2. अवैध कमीशन वसूली
    – सरकारी शराब दुकानों में सप्लाई पर अतिरिक्त कमीशन वसूला गया।
    – डिस्टलरी से ज्यादा शराब बनाकर उसकी अवैध बिक्री की गई।

  3. विदेशी शराब सप्लाई घोटाला
    – साल 2020-21 में विदेशी शराब की सप्लाई का ठेका 3 प्राइवेट कंपनियों को दिया गया।
    – इस ठेके से राज्य सरकार को लगभग 248 करोड़ का नुकसान हुआ।

  4. पैसे का लेन-देन
    – सिंडिकेट से जुड़े लोगों ने डमी डायरेक्टर और अलग-अलग खातों से करोड़ों रुपए निकाले।
    – जांच में सामने आया कि नेताओं और कारोबारियों को करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया।

  5. EOW की चार्जशीट
    – आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने अब तक 6 अभियोग पत्र कोर्ट में दाखिल किए हैं।
    – कई आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और बाकी मामलों की जांच अभी भी चल रही है।

गिरफ्तारियां और आगे की जांच

अभियोग पत्र पेश करते हुए EOW ने अदालत को सूचित किया कि विजय कुमार भाटिया, संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह की गिरफ्तारी की जा चुकी है। जांच एजेंसी ने कहा कि यह सिंडिकेट 2020 से 2023 तक सक्रिय रहा और इसे राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त था। विदेशी शराब कमीशन से जुड़े कई पहलुओं की जांच अब भी जारी है और इनसे जुड़े लाइसेंसधारियों पर अलग से अभियोग पत्र पेश किया जाएगा।

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राजनीतिक सरगर्मी तेज

3200 करोड़ के इस शराब घोटाले का मुद्दा छत्तीसगढ़ की राजनीति में लंबे समय से गरमाया हुआ है। EOW द्वारा लगातार अभियोग पत्र पेश किए जाने के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर और तेज होने की संभावना है।

FAQ

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में किन-किन लोगों के नाम सामने आए हैं?
EOW की जांच में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर, निरंजन दास, विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह सहित कई नेताओं और कारोबारियों के नाम सामने आए हैं।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से सरकार को कितना नुकसान हुआ?
EOW के मुताबिक, 2020-21 में विदेशी शराब सप्लाई का ठेका तीन निजी कंपनियों को देने से राज्य सरकार को लगभग 248 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला क्या है?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला एक वित्तीय घोटाला है, जिसमें शराब दुकानों और डिस्टलरी से अवैध कमीशन वसूली, अतिरिक्त शराब निर्माण और विदेशी शराब सप्लाई के जरिए करोड़ों रुपए की हेराफेरी की गई।

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