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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आबकारी विभाग के 28 अधिकारियों पर कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है। इस घोटाले में शामिल होने के आरोप में इन अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं पहले विशेष अदालत और फिर बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई हैं।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच में इन अधिकारियों की भूमिका सामने आने के बाद विशेष अदालत ने अगस्त 20, 2025 को आरोपियों को पेश होने का आदेश दिया था। इसके बावजूद आरोपी कोर्ट के सामने नहीं आए। इसके बाद कोर्ट ने अब इनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किए हैं।
EOW के वकीलों के अनुसार, इस मामले में अगली सुनवाई अब 23 सितंबर 2025 को होगी। अगर अधिकारी इस तारीख तक भी कोर्ट में पेश नहीं होते, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें गैर-जमानती वारंट और गिरफ्तारी शामिल हो सकती है।
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शराब घोटाले का पृष्ठभूमि और जांच
छत्तीसगढ़ में यह शराब घोटाला 2019 से 2023 के बीच हुआ, जिसमें कथित तौर पर 2,165 से 3,200 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है। EOW और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच में सामने आया कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने एक संगठित सिंडिकेट के साथ मिलकर अवैध शराब की बिक्री, ओवर-बिलिंग, नकली होलोग्राम, और डमी कंपनियों के जरिए भारी वसूली की।
इस घोटाले से राज्य को हजारों करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। जांच में यह भी पता चला कि कई अधिकारियों ने कमीशन के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की, जिसमें 88 करोड़ रुपये से अधिक की राशि इनके खातों में पहुंची।
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EOW ने इस मामले में 70 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया है, जिसमें आबकारी विभाग के कई वरिष्ठ और सेवानिवृत्त अधिकारी, कारोबारी, और राजनेता शामिल हैं। घोटाले के मास्टरमाइंड के रूप में कारोबारी अनवर ढेबर का नाम सामने आया है, जो पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।
इसके अलावा, पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, और अन्य बड़े नाम भी इस घोटाले में शामिल हैं।
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जमानती वारंट और अधिकारियों की अनुपस्थिति
20 अगस्त 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में पेश होने का आदेश मिलने के बावजूद, कोई भी आरोपी आबकारी अधिकारी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ। EOW के वकीलों का कहना है कि अधिकारियों ने गिरफ्तारी के डर से कोर्ट में उपस्थित होने से परहेज किया।
इसके जवाब में, विशेष अदालत ने सभी 28 अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया कि इस तरह के गंभीर भ्रष्टाचार मामले में आरोपियों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता। बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने भी अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि आरोपियों को पहले निचली अदालत में सरेंडर करना होगा और वहां से नियमित जमानत के लिए आवेदन करना होगा।
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आरोपियों की सूची
EOW के चालान में जिन 28 आबकारी अधिकारियों के नाम शामिल हैं, उनमें शामिल हैं।
गरीबपाल दर्दी (जिला आबकारी अधिकारी)
नोहर सिंह ठाकुर (आबकारी अधिकारी)
सोनल नेताम (सहायक आयुक्त आबकारी)
अलेख राम सिदार, प्रकाश पाल, एके सिंग, आशीष कोसम, जेआर मंडावी, राजेश जयसवाल, जीएस नूरुटी, जेआर पैकरा, देवलाल वैद्य, एके अनंत, वेदराम लहरे, एलएल ध्रुव (सेवानिवृत्त उपायुक्त आबकारी)
जनार्दन कोरव (सहायक जिला आबकारी अधिकारी)
अनिमेष नेताम (उपायुक्त आबकारी)
विजय सेन शर्मा (उपायुक्त आबकारी)
अरविंद कुमार पाटले, प्रमोद कुमार नेताम, राम कृष्णा मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, मोहित कुमार जयसवाल, नीलू नोतानी ठाकुर, मंजू कसेर।
इनमें से कई अधिकारी विभिन्न जिलों में आबकारी विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात थे और जांच में इनकी मिलीभगत की पुष्टि हुई है।
अगली सुनवाई और संभावित कार्रवाई
EOW के वकीलों के अनुसार, इस मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर 2025 को होगी। अगर इस तारीख तक भी आरोपी अधिकारी कोर्ट में पेश नहीं होते, तो उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो सकता है, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है।
EOW ने पहले ही इस घोटाले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, और अब इन 28 अधिकारियों की गिरफ्तारी से घोटाले की और परतें खुलने की उम्मीद है। जांच एजेंसी का दावा है कि ये अधिकारी एक बड़े सिंडिकेट का हिस्सा थे, जिसने नकली होलोग्राम और अवैध शराब की बिक्री के जरिए राज्य को भारी नुकसान पहुंचाया।
घोटाले का दायरा और प्रभाव
इस शराब घोटाले ने न केवल छत्तीसगढ़ की सियासत और प्रशासन को हिलाकर रख दिया है, बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड में भी इसके तार जुड़े हुए पाए गए हैं। EOW की जांच में पता चला कि छत्तीसगढ़ के इस सिंडिकेट ने झारखंड की आबकारी नीति में हेरफेर कर वहां भी अवैध शराब कारोबार को बढ़ावा दिया, जिससे झारखंड सरकार को भी करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
जांच में सामने आया कि रायपुर, धमतरी, बलौदा बाजार, गरियाबंद, मुंगेली, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कबीरधाम, बालोद, महासमुंद, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बेमेतरा, और रायगढ़ जैसे 15 जिलों में नकली होलोग्राम वाली शराब की सप्लाई की गई। इस अवैध कारोबार में आबकारी अधिकारियों ने लाइसेंस आवंटन, अवैध वसूली, और काले धन के लेन-देन में सक्रिय भूमिका निभाई।
प्रशासन और जनता की नजर
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद आबकारी विभाग में हड़कंप मच गया है। जनता की नजर अब EOW की अगली कार्रवाई पर टिकी है, क्योंकि इस घोटाले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के घोटालों ने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, और सख्त कार्रवाई से ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है।
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