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छत्तीसगढ़ के 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में 22 आबकारी अधिकारियों को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए सख्त रुख अपनाया। जस्टिस अरविंद वर्मा ने कहा कि इतने बड़े घोटाले में आरोपियों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने सलाह दी कि आरोपी निचली अदालत में सरेंडर करें और वहां से जमानत के लिए आवेदन करें। इस फैसले से अधिकारियों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।
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EOW की जांच में क्या खुलासा हुआ?
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो यानी ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि ओवर बिलिंग, नकली बारकोड और डमी कंपनियों के माध्यम से अवैध वसूली की गई। यह सब आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ। शराब दुकानों को सरकारी रिकॉर्ड में खपत दर्ज न करने के निर्देश थे, और बिना टैक्स चुकाए डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होती थी। जांच के मुताबिक, फरवरी 2019 से शुरू हुए इस घोटाले में तीन साल में 60 लाख से अधिक शराब की पेटियां अवैध रूप से बेची गईं। शुरुआत में 200 ट्रक (800 पेटी प्रति ट्रक) प्रतिमाह सप्लाई होती थी। जब कोई विवाद नहीं हुआ तो इनलोगों ने 400 ट्रक तक सप्लाई कर दी। इतना ही नहीं प्रति पेटी की कीमत भी 2,840 से बढ़कर 3,880 रुपये कर दी गई।
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22 आबकारी अधिकारी निशाने पर
EOW ने 22 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। इन सभी को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। इन पर आरोप है कि वे एक संगठित सिंडिकेट का हिस्सा थे, जिसके जरिए 88 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली की गई। कोर्ट ने पहले ही इन अधिकारियों को 20 अगस्त तक पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया। याचिकाओं में अधिकारियों ने खुद को निर्दोष बताते हुए फंसाने का आरोप लगाया और कुछ ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।
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राज्य सरकार ने किया जमानत का विरोध
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में सुनवाई के दौरान जमानत याचिकाओं का तगड़ा विरोध किया गया। इस दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि चालान अब पेश होने की स्थिति है। इसके बावजूद आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसके कारण चालान में देरी हो रही है। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए याचिकाएं खारिज कीं और निचली अदालत में सरेंडर करने का निर्देश दिया।
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जेल में बंद हैं कई बड़े नाम
इस घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, और कारोबारी अनवर ढेबर सहित कई दिग्गज पहले से जेल में हैं। कुल 70 लोग इस मामले में आरोपी हैं, जिनमें चार डिस्टलरी संचालक भी शामिल हैं। EOW ने 200 से अधिक लोगों, जिसमें कारोबारी, आबकारी अधिकारी, हवाला एजेंट, और अन्य शामिल हैं, से पूछताछ की है।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और EOW इस घोटाले की जांच कर रहे हैं। ED की FIR के अनुसार, पूर्व भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर ने मिलकर यह घोटाला किया। डमी कंपनियों, नकली बारकोड, और ओवर बिलिंग के जरिए हजारों करोड़ की अवैध कमाई की गई।
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शराब घोटाला 3200 करोड़ | आबकारी अधिकारी अग्रिम जमानत | जमानत याचिका खारिज