शराब घोटाले में बढ़ीं चैतन्य बघेल की मुश्किलें, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं। वहीं, ED की जांच में नए तथ्य सामने आए हैं जो मामले को और पेचीदा बना रहे हैं।

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Harrison Masih
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Chaitanya Baghel petition dismissed: छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला (CG liquor scam) और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल को राहत नहीं मिली है। सोमवार को हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर वे चाहें तो नई याचिका दाखिल कर सकते हैं, लेकिन वह याचिका केवल उनकी ओर से होनी चाहिए, किसी और की ओर से नहीं।

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हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच में भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की याचिका पर सुनवाई हुई। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन और हर्षवर्धन परगनिया ने पैरवी की। चैतन्य ने EOW की FIR और कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि उनकी हिरासत गैरकानूनी है और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

वहीं, सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा। लंबी बहस के बाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।

फिलहाल न्यायिक रिमांड में चैतन्य

चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को ED ने भिलाई से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें कस्टोडियल रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। 23 अगस्त को कस्टडी खत्म होने पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 6 सितंबर तक रायपुर जेल भेज दिया गया।

ED ने रिमांड के दौरान चैतन्य से शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े नए तथ्यों पर पूछताछ की थी

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ED का दावा – चैतन्य तक पहुँचे 16.70 करोड़ रुपए

ED ने अपनी जांच में दावा किया है कि शराब घोटाले से जुड़े पैसे का बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के जरिए वाइट किया गया। आरोप है कि बघेल डेवलपर्स (विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट) में घोटाले के पैसे निवेश किए गए। प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था, जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया।

ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया गया, जिसे बही-खातों में नहीं दिखाया गया। जाँच में सामने आया कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने अपने कर्मचारियों के नाम पर 19 फ्लैट खरीदे, जबकि भुगतान खुद किया। एक भिलाई ज्वेलर्स ने चैतन्य की कंपनी को 5 करोड़ रुपए का लोन दिया और बाद में 6 प्लॉट खरीदे, ताकि कैश को वैध दिखाया जा सके।

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला क्या है?

  1. 2019 से 2022 तक चला अवैध कारोबार
    ईडी की जांच के अनुसार, यह घोटाला फरवरी 2019 से 2022 तक चला, जिसमें सरकारी शराब दुकानों के जरिए नकली होलोग्राम, डुप्लीकेट बोतलें और फर्जी स्टॉक के माध्यम से शराब बेची गई।

  2. 2,174 करोड़ का मुनाफा
    तीन साल में करीब 60 लाख पेटियां शराब अवैध रूप से सप्लाई की गईं, जिससे लगभग 2,174 करोड़ रुपए का अवैध मुनाफा कमाया गया।

  3. सिंडिकेट का संचालन
    इस पूरे ऑपरेशन को एक सिंडिकेट चला रहा था, जिसमें नेता, अफसर और कारोबारी शामिल थे। कई बड़े नाम जैसे अनवर ढेबर, आईएएस अनिल टुटेजा और अरुणपति त्रिपाठी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।

  4. फर्जी टेंडर और होलोग्राम का खेल
    शराब की बोतलों पर लगने वाले होलोग्राम का टेंडर नोएडा की एक अयोग्य कंपनी को दिया गया, जिसने नकली होलोग्राम बनाकर CSMCL के जरिए ठेकों तक पहुंचाया और करोड़ों की हेराफेरी की।

  5. राजनीतिक और कानूनी असर
    इस मामले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा पर भी रिश्वत लेने का आरोप है। वहीं, चैतन्य बघेल पर वित्तीय ट्रांजेक्शन और संपत्ति निवेश में शामिल होने के आरोप लगे हैं। कांग्रेस इसे राजनीतिक साजिश बता रही है, जबकि भाजपा का कहना है कि बघेल सरकार के दौरान हुआ भ्रष्टाचार अब बेनकाब हो रहा है।

ब्लैक मनी को वाइट करने का पूरा खेल

ED का आरोप है कि ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश, फर्जी फ्लैट खरीदी और फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल किया गया। ढिल्लन सिटी मॉल में पैसा आया। फिर ढिल्लन ड्रिंक्स के जरिए कर्मचारियों को ट्रांसफर हुआ।

वही पैसा आगे बढ़कर बघेल डेवलपर्स तक पहुँचा। ED के मुताबिक इस पूरी चैन के जरिए करीब 1000 करोड़ रुपए की हेराफेरी हुई और चैतन्य बघेल के पास अकेले 16.70 करोड़ रुपए पहुँचे।

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आगे की कार्रवाई 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद अब चैतन्य  की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। ED की जांच लगातार आगे बढ़ रही है और कई नए दस्तावेज व डिजिटल डिवाइसेस से अहम सुराग मिले हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस केस में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति से भी जुड़ा हुआ है और आने वाले समय में इसके गंभीर राजनीतिक असर देखने को मिल सकते हैं।

FAQ

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला कितने पैसों का है?
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि 2019 से 2022 के बीच लगभग 2,174 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा इस घोटाले से कमाया गया।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में कौन-कौन आरोपी हैं?
इस केस में अनवर ढेबर, आईएएस अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी सहित कई नेता, अफसर और कारोबारी शामिल बताए गए हैं। साथ ही चैतन्य बघेल का नाम भी सामने आया है।
चैतन्य बघेल गिरफ्तार कब हुए?
चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 में ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान गिरफ्तार किया, जब उनके वित्तीय लेन-देन और संपत्ति निवेश में संलिप्तता के सबूत सामने आए।

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