छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट सख्त, ED-EOW को दिसंबर तक जांच पूरी करने का आदेश

छत्तीसगढ़ के 3000 करोड़ के शराब घोटाले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सिर्फ 3 महीने में पूरी जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले (CG liquor scam) में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक फाइनल रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और 13 याचिकाओं पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से जुड़ी 13 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद जस्टिस एम.एम. सुन्दरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। इनमें छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में दर्ज अलग-अलग FIRs, ED की ECIR रिपोर्ट और जमानत याचिकाएं शामिल थीं। इनमें IAS अधिकारी अनिल टुटेजा की जमानत याचिका भी थी। कोर्ट ने कहा कि जांच को लगभग दो साल हो चुके हैं, इसलिए अब इसे अंतिम मुकाम तक पहुंचाना जरूरी है। साथ ही निर्देश दिया गया कि 3 महीने में पूरक चार्जशीट दाखिल की जाए।

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ED और EOW ने तेज की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ED और EOW ने जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। ED अब तक 30 आबकारी अधिकारियों के बयान दर्ज कर चुकी है, जिनमें 7 रिटायर्ड अधिकारी भी शामिल हैं। ED के वकील सौरभ पांडे के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि जांच लंबी चल रही है, इसलिए इसे जल्द पूरा किया जाए।

10 से ज्यादा गिरफ्तारियां,बड़े नाम शामिल

इस मामले में अब तक पूर्व मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल सहित 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। EOW की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी शराब पर सिंडिकेट द्वारा लिए गए कमीशन की पूरी जांच की जा रही है।

गिरफ्तार आरोपियों में- अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, दिलीप टुटेजा, अरविंद सिंह, अरुणपति त्रिपाठी और सुनील दत्त शामिल हैं।

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कैसे हुआ 3000 करोड़ का घोटाला?

ED की जांच में खुलासा हुआ कि 3,000 करोड़ रूपए  से अधिक का घोटाला भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में किया गया। मुख्य साजिशकर्ताओं में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर शामिल थे। इन सभी ने मिलकर एक “शराब सिंडिकेट” बनाया, जो शराब आपूर्ति से लेकर कमीशन वसूली तक का काम करता था।

इस मामले को 3 पॉइंट में समझें:

  • सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश:
    सुप्रीम कोर्ट ने ED और EOW को 3 महीने के भीतर छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।

  • 3000 करोड़ का घोटाला:
    जांच में सामने आया है कि IAS अफसरों, आबकारी विभाग के अधिकारियों और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया था।

  • गिरफ्तारी और खुलासे:
    इस केस में पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल सहित 10 से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।

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सिंडिकेट की योजना: तीन हिस्सों में बंटा कारोबार

EOW की चार्जशीट के मुताबिक, अनवर ढेबर ने फरवरी 2019 में रायपुर के जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में एक मीटिंग बुलाई। इस मीटिंग में प्रदेश की तीन प्रमुख डिस्टलरी कंपनियों — छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड, और वेलकम डिस्टलरी के मालिक शामिल हुए। यहीं यह तय किया गया कि शराब की प्रत्येक पेटी पर कमीशन वसूला जाएगा, और रेट बढ़ाने का वादा किया गया।सारा कारोबार A, B और C पार्ट में बांटा गया ताकि पैसों की हेराफेरी को छुपाया जा सके।

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अनवर ढेबर को मिले 90 करोड़

EOW की जांच में सामने आया कि अनवर ढेबर को 90 करोड़ रूपए  से अधिक की राशि मिली, जिसे उसने रिश्तेदारों और CA के नाम पर कंपनियों में निवेश किया। विकास अग्रवाल और सुब्बू नामक सहयोगी इन पैसों की वसूली और वितरण का काम करते थे। सिंडिकेट का 15% हिस्सा अनवर ढेबर को कमीशन के रूप में जाता था।

सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब शराब घोटाले की जांच अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। ED और EOW के पास अब सिर्फ तीन महीने का समय है ताकि वे इस हाई-प्रोफाइल घोटाले की पूरी सच्चाई उजागर कर सकें।

FAQ

शराब घोटाला क्या है?
ED और EOW की जांच के अनुसार, आबकारी विभाग में लगभग 3000 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया गया। इस घोटाले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा, कारोबारी अनवर ढेबर और पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल भी शामिल पाए गए।
CG शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया है?
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ED और EOW 3 महीने के भीतर पूरी जांच पूरी करें और दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक फाइनल रिपोर्ट पेश करें।
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