छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: चैतन्य बघेल की जमानत याचिका खारिज, 13 अक्टूबर तक बढ़ाई रिमांड

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की जमानत याचिका खारिज। उसे 13 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। ED-EOW 90 दिनों में जांच पूरी करेगी।

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Sanjay Dhiman
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chetanya bhaghel bail rejected

Photograph: (the sootr)

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RAIPUR.छत्तीसगढ़ शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को बुधवार को एक बड़ा झटका लगा। रायपुर ACB-EOW स्पेशल कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। 

चैतन्य बघेल को स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उसे 13 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही, यह मामला राजनीतिक गलियारों और जनता के बीच सुर्खियों में बना हुआ है। 

इस हाई-प्रोफाइल मामले में ED-EOW ने जांच को लेकर कहा है कि वह अगले 90 दिनों में इस पूरे मामले की जांच पूरी कर लेगी। चैतन्य बघेल कोED ने 18 जुलाई 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था, और वह तब से जेल में हैं। 

मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में हुई है चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 18 जुलाई 2025 को चैतन्य बघेल को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोप यह है कि शराब घोटाले के माध्यम से प्राप्त कुल राशि में से 16.70 करोड़ रुपये का हिस्सा चैतन्य को मिला। यह धनराशि रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के उद्देश्य से इस्तेमाल की गई, ताकि अवैध धन को कानूनी रूप से सफेद किया जा सके। चैतन्य बघेल पर आरोप है कि उन्होंने ब्लैक मनी (काले धन) को सफेद दिखाने के लिए फर्जी निवेश रिकॉर्ड पेश किए। 

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शराब घोटाला और पैसों का लेनदेन

जांच में यह पाया गया कि शराब घोटाले से जुड़े पैसों को कई स्तरों में लेयरिंग के माध्यम से चैतन्य बघेल तक पहुंचाया गया। इस प्रक्रिया में कुल 1000 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ, जिसमें कई मध्यस्थों का हाथ था। इस मामले में आरोप है कि पहले शराब घोटाले की राशि अनवर ढेबर के पास गई, फिर दीपेन चावड़ा, केके श्रीवास्तव और रामगोपाल अग्रवाल के जरिए यह चैतन्य बघेल तक पहुंची।

ED और EOW की जांच

प्रवर्तन निदेशालय और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की संयुक्त जांच में यह सामने आया कि चैतन्य बघेल ने एक ठेकेदार को करीब 4.2 करोड़ रुपये कैश में दिए, जिन्हें बाद में रिकॉर्ड से बाहर रखा गया। इसके अलावा, चैतन्य के एक प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ रुपए का निवेश किया गया था, जबकि रिकॉर्ड में केवल 7.14 करोड़ रुपए का हिसाब दिखाया गया था। 

फर्जी फ्लैट खरीदी के नाम पर गोलमाल

ED की जांच में यह भी पाया गया कि चैतन्य बघेल के द्वारा 19 फ्लैट्स खरीदे गए, जिनकी कीमत कुल 5 करोड़ रुपये थी। यह फ्लैट्स एक व्यक्ति त्रिलोक सिंह ढिल्लो के नाम पर खरीदे गए, लेकिन ढिल्लो ने खुद भुगतान किया। यह लेन-देन एक पूर्व-योजना के तहत किया गया, ताकि अवैध धन को कानूनी रूप से चैतन्य तक पहुंचाया जा सके। 

शराब घोटाला और चैतन्य बघेल की जमानत मामले को ऐसे समझें 

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चैतन्य बघेल की जमानत याचिका खारिज: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की जमानत याचिका को रायपुर ACB-EOW कोर्ट ने खारिज कर दिया। वह 13 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर रहेंगे।

ED द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग आरोप: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया और आरोप लगाया कि उन्होंने शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये प्राप्त किए।

धन का अवैध निवेश: ED ने बताया कि चैतन्य बघेल ने इस धन को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश किया और फर्जी निवेश रिकॉर्ड प्रस्तुत किए, जिससे काले धन को सफेद किया गया।

फर्जी फ्लैट खरीदने की जांच: जांच में यह सामने आया कि चैतन्य के द्वारा 19 फ्लैट्स खरीदी गईं, जिनमें 5 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ और इसे काले धन को कानूनी रूप देने की योजना के तहत किया गया।

चैतन्य बघेल के बचाव में वकील: चैतन्य के वकील ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी गलत है और यह केवल इस कारण की गई कि वह पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं, जबकि उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया था।

शराब घोटाले का रियल एस्टेट से संबंध

ED ने यह भी बताया कि शराब घोटाले से अर्जित धन को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश किया गया। खासकर, चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में यह धन निवेश किया गया था। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट्स के ठिकानों पर छापेमारी कर जरूरी रिकॉर्ड जब्त किए गए थे। 

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बचाव पक्ष का तर्क: पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा इसलिए गिरफ्तारी

चैतन्य बघेल के बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने इस गिरफ्तारी को गलत बताया। उन्होंने कहा कि पप्पू बंसल का बयान एक बड़ा आधार बना, लेकिन बंसल के खिलाफ नॉन-बेलेबल वारंट है और वह खुलेआम घूम रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि चैतन्य बघेल को सिर्फ इस कारण गिरफ्तार किया गया कि वह पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं। इसके अलावा, उनका कहना था कि चैतन्य ने पूरी जांच में सहयोग किया है।

रिजवी ने यह भी बताया कि 2022 से शराब घोटाला मामले में जांच चल रही है, लेकिन चैतन्य बघेल को गिरफ्तारी से पहले एक भी समन नहीं दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि चैतन्य ने जांच में लगातार सपोर्ट किया है और उनके घर पर रेड के दौरान जब्त किए गए सभी डिजिटल डिवाइस और मांगे गए डॉक्यूमेंट्स एजेंसी को दिए गए हैं। 

90 दिनों में जांच होगी पूरी

कोर्ट द्वारा चैतन्य बघेल की जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद, अब उनकी न्यायिक रिमांड 13 अक्टूबर तक जारी रहेगी। इस बीच, ED-EOW का पूरा ध्यान अगले 90 दिनों में छत्तीसगढ़ शराब घोटाला की जांच पूरी करने पर है। यह जांच न केवल चैतन्य बघेल के खिलाफ आरोपों की पुष्टि करेगी, बल्कि यह भी निर्धारित करेगी कि इस व्यापक मनी लॉन्ड्रिंग सिंडिकेट में और कौन-कौन शामिल थे।

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