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Raipur. छत्तीसगढ़ का पूरा मेडिकल सिस्टम 30 फीसदी डॉक्टरों के सहारे चल रहा है। अस्पतालों समेत मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल स्वास्थ्य व्यवस्था लाख कोशिशों के बाद भी पटरी पर नहीं लौट पा रही है। राज्य सरकार ने कई बार भर्ती प्रक्रिया शुरू की, लेकिन योग्य उम्मीदवारों के न मिलने और नियमों के बार-बार बदलने से मामला अटकता रहा।
2019 से अब तक सुपरस्पेशलिस्ट भर्ती प्रक्रिया में कई संशोधन हुए, पर परिणाम संतोषजनक नहीं मिले। मेडिकल शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि हर तीन में से एक मेडिकल टीचर की कुर्सी खाली है। इन सबका असर मरीजों पर पड़ रहा है।
सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी :
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी से जूझ रही हैं। राज्य के सरकारी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में करीब 70 प्रतिशत पद खाली हैं। 2160 स्वीकृत पदों में से 1155 डॉक्टरों की कमी है। डॉक्टरों की कमी मरीजों के इलाज में बड़ी बाधा बन गई है। डॉक्टरों की भारी कमी के कारण कई सुपरस्पेशलिटी वार्ड आधे अधूरे रूप में चल रहे हैं।
राज्य सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है कि कैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति कर इन अस्पतालों को फिर से जीवंत बनाया जाए। सुपरस्पेशलिटी वार्ड तो बनाए गए हैं, लेकिन उन्हें चलाने वाले डॉक्टर नहीं हैं। राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज रायपुर में ही आधे पद खाली पड़े हुए हैं।
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ये है मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की स्थिति :
रायपुर - 416 पदों में 174 पद खाली
बिलासपुर - 255 पदों में 132 पद खाली
दुर्ग - 164 पदों में 115 पद खाली
कांकेर - 148 पदों में 118 पद खाली
रायगढ़ - 91 पदों में 49 पद खाली
कोरबा - 150 पदों में 92 पद खाली
सरगुजा - 86 पदों में 26 पद खाली
महासमुंद - 150 पदों में 89 पद खाली
जगदलपुर - 154 पदों में 72 पद खाली
राजनांदगांव - 155 पदों में 89 पद खाली
डेंटल कॉलेज - 102 पदों में 32 पद खाली
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ये है सुपर स्पेशयलिटी अस्पतालों की स्थिति :
दिलीप सिंह जूदेव सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल,बिलासपुर - 78 पदों में से 70 पद खाली
दाउ कल्याण सिंह स्नात्कोत्तर व रिसर्च सेंटर - 57 पदों में से 25 पद खाली
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सरकार गंभीरता से कर रही प्रयास :
सरकार कहती है कि डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए शासन गंभीर है। नए मेडिकल कॉलेजों के प्रस्ताव भेजे गए हैं और भर्ती प्रक्रिया तेज करने की तैयारी चल रही है। वहीं जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारी कहते हैं कि राज्य में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।
नियुक्तियां शीघ्र हों, तभी स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर लौटेंगी। बहरहाल इन सब के बीच में मरीजों का हाल बेहाल है जिनको महंगी फीस देकर प्रायवेट अस्पतालों में इलाज कराना पड़ रहा है।
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