छत्तीसगढ़ नक्सल फ्रंट से बड़ी खबर: नारायणपुर में 70 लाख के इनामी 16 नक्सलियों ने किया सरेंडर

छत्तीसगढ़ के नक्सल फ्रंट से आई बड़ी खबर ने सबको चौंका दिया है। जहां एक ओर जंगलों में सुरक्षाबलों का दबदबा बढ़ रहा है, वहीं 70 लाख के इनामी 16 नक्सलियों ने नारायणपुर में हथियार डाल दिए। महिला नक्सलियों ने बताया कि और संगठन के अंदर क्या होता है।

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Harrison Masih
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Narayanpur. छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों को नक्सल मोर्चे पर एक बड़ी सफलता मिली है। नारायणपुर जिले में 70 लाख रूपए के 10 इनामी माओवादियों समेत कुल 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। सभी ने नारायणपुर के एसपी रॉबिनसन गुड़िया के सामने हथियार डालते हुए मुख्यधारा में लौटने की शपथ ली। यह आत्मसमर्पण (Narayanpur Naxal surrender) नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की सक्रियता और लगातार चल रहे जनजागरण अभियान का परिणाम माना जा रहा है।

कौन हैं सरेंडर करने वाले नक्सली?

सरेंडर करने वाले नक्सली संगठन के उच्च स्तर पर सक्रिय थे। इनमें पीएलजीए (PLGA) मिलिट्री कंपनी नंबर-1 के डिप्टी कमांडर, डीवीसीएम, एसीएम, पार्टी और जनताना सरकार सदस्य शामिल हैं। ये लंबे समय से बस्तर क्षेत्र में हिंसक वारदातों और नक्सल गतिविधियों में शामिल थे।

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सरेंडर करने वाले नक्सलियों का प्रोफाइल और इनाम सूची:

  • पोदिया मरकाम उर्फ रतन – डिप्टी कमांडर, पीएलजीए मिलिट्री कंपनी-1 — ₹8 लाख इनामी
  • मनोज दुग्गा उर्फ शंकर – सदस्य, कंपनी-1 — ₹8 लाख इनामी
  • सुमित्रा उर्फ सन्नी कुर्साम – महिला सदस्य, कंपनी-1 — ₹8 लाख इनामी
  • मड्डा कुंजाम उर्फ सोनारू – सदस्य, कंपनी-1 — ₹8 लाख इनामी
  • रवि उर्फ गोपाल वड्डे – सदस्य, कंपनी-1 — ₹8 लाख इनामी
  • कारे कोर्राम – सदस्य, कंपनी-1 — ₹8 लाख इनामी
  • वनीला फरसा – सदस्य, कंपनी-6 — ₹8 लाख इनामी
  • गावडे उर्फ दिवाकर – डीवीसीएम, उत्तर ब्यूरो टेक्निकल टीम — ₹8 लाख इनामी
  • बुधू उर्फ कमलेश उसेण्डी – माड़ डिवीजन स्टाफ टीम, एसीएम — ₹5 लाख इनामी
  • सोमलो कश्यप उर्फ मनीषा – कुतुल एलजीएस सदस्य — ₹1 लाख इनामी
  • नरसू वड्डे – सक्रिय नक्सली कार्यकर्ता
  • सोनू जटी – माओवादी सहयोगी
  • इरगू वड्डे – जनताना सरकार सदस्य
  • बुधनी गोटा उर्फ रेश्मा – गुमरका पंचायत मिलिशिया सदस्य
  • राजे गोटा उर्फ वनिता (19 वर्ष) – गुमरका पंचायत मिलिशिया सदस्य
  • मासे गोटा उर्फ ललिता (20 वर्ष) – गुमरका पंचायत मिलिशिया सदस्य

इन सभी ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का संकल्प लिया।

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नारायणपुर एसपी रॉबिनसन गुड़िया ने क्या कहा?

एसपी रॉबिनसन गुड़िया ने बताया कि लगातार पुलिस और अर्धसैनिक बलों की दबाव रणनीति, नवनिर्मित कैंपों की स्थापना और जनजागरण अभियानों से नक्सलियों का मनोबल तेजी से गिर रहा है। उन्होंने कहा — “हमारा लक्ष्य सिर्फ नक्सलियों से मुठभेड़ नहीं, बल्कि उन्हें समाज में वापस लाना है। जो हिंसा छोड़कर लौटना चाहता है, उसे पूरा सहयोग मिलेगा।”

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नारायणपुर नक्सल सरेंडर की मुख्य बातें:

  1. 16 नक्सलियों ने किया सरेंडर — नारायणपुर में पीएलजीए कंपनी-1 के डिप्टी कमांडर, डीवीसीएम और एसीएम स्तर के माओवादी पुलिस के सामने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटे।

  2. महिला नक्सलियों का बड़ा खुलासा — सरेंडर के बाद महिला सदस्यों ने बताया कि संगठन के शीर्ष नेता ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं और महिलाओं का शोषण आम बात है।

  3. टूटा मनोबल — सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई, नए कैंपों की स्थापना और जनसंपर्क अभियानों से नक्सल नेटवर्क तेजी से कमजोर हुआ।

नक्सलियों का चौंकाने वाला खुलासा

सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने पुलिस पूछताछ में कई आश्चर्यजनक खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया- संगठन के शीर्ष माओवादी नेता ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं। वे ग्रामीणों को “जल, जंगल, जमीन” की रक्षा के नाम पर गुमराह करते हैं।महिला नक्सलियों का संगठन में शोषण होता है — मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में। कई महिला सदस्यों का जीवन नर्क जैसा बन चुका है, जिससे वे अब समाज में लौटना चाहती हैं।

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क्यों टूट रहा है नक्सल नेटवर्क?

  • सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई — जंगलों में नए कैंप और कॉम्बिंग ऑपरेशन से नक्सलियों की गतिविधियों पर लगाम लगी है।
  • ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी — अब ग्रामीण नक्सल प्रचार से प्रभावित नहीं हो रहे।
  • सरकारी योजनाओं का असर — सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य की पहुंच बढ़ने से नक्सल विचारधारा कमजोर पड़ रही है।

FAQ

नारायणपुर में कितने नक्सलियों ने सरेंडर किया है
नारायणपुर जिले में कुल 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें 70 लाख रुपये के इनामी 10 माओवादी भी शामिल हैं।
नारायणपुर में नक्सलियों ने सरेंडर के बाद क्या खुलासा किया?
सरेंडर नक्सलियों ने बताया कि शीर्ष माओवादी नेता ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं। महिला नक्सलियों ने खुलासा किया कि संगठन के भीतर शारीरिक और मानसिक शोषण आम बात है।
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