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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के बंद होने के मामले पर गंभीरता दिखाते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। बुधवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका के रूप में इस मामले की सुनवाई हुई।
अदालत ने राज्य सरकार से नया (फ्रेश) एफिडेविट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।
15 हजार की क्षमता, 20,500 से ज्यादा कैदी
सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से बताया गया कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ की जेलों में 15 हजार कैदियों की क्षमता है, लेकिन यहां 20 हजार 500 से अधिक कैदी बंद हैं। सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि बेमेतरा जिले में नया जेल भवन तैयार हो चुका है, हालांकि वहां बिजली का काम अभी बाकी है।
सरकार की कार्ययोजना पर सवाल
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जेलों में बढ़ती भीड़ को कम करने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए हैं। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जेलों की स्थिति सुधारने और ओवरकैपेसिटी की समस्या हल करने के लिए विस्तृत जानकारी के साथ एफिडेविट दायर किया जाए।
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जेलों में कैदियों की ओवरकैपेसिटी से संबंधित 5 मुख्य बातें
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अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद
अदालत ने मामले को गंभीर जनहित का विषय बताते हुए अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है। इसके साथ ही सरकार को जेलों की क्षमता बढ़ाने और अधूरी परियोजनाओं को जल्द पूरा करने के लिए ठोस योजना पेश करने को कहा गया है।
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