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Raipur.छत्तीसगढ़ के पीएससी घोटाले में किस्म किस्म के तरीके अपनाए गए हैं। इन तरीकों को अपनाने में जिम्मेदार लोग यह भी भूल गए कि वे खुद ही अपनी करतूत का सुराग छोड़ रहे हैं। पीएससी के तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव ने अपने बेटे को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए यह फर्जीवाड़ा किया। जीवन किशोर के बेटे सुमित ध्रुव ने तो हद ही कर दी। सुमित के घर में पीएससी परीक्षा के सारे पेपर रखे थे। डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद भी वे पेपर जहां के तहां रखे रहे। सीबीआई ने जब घर में छापा मारा तो ये सारे दस्तावेज बरामद हो गए।
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प्री और मेंस एग्जाम का एक ही रोलनंबर :
अब तीसरे किरदार की बात करते हैं। यह है एक और डिप्टी कलेक्टर सुमित ध्रुव। यह सुमित ध्रुव कोई आम शख्स नहीं है। यह है सीजीपीएससी के तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव का पुत्र। पीएससी घोटाले की बहती गंगा में सबने हाथ धोए। सचिव ने भी अपने बेटे को डिप्टी कलेक्टर बना दिया। जांच में ये भी सामने आ गया कि सुमित का प्री और मेंस एग्जाम में एक ही रोल नंबर था। जांच से पता चला कि श्री सुमित ने 26.05.2022 से 29.05.2022 के दौरान मुख्य परीक्षा में भाग लिया। उनका रोल नंबर प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के दौरान CGPSC 2021 में समान रहा।
जांच से पता चला कि CGPSC 2020 की परीक्षा के लिए दो सेट प्रश्न-पत्र तैयार किए गए थे, जिनमें से एक का उपयोग CGPSC 2020 में हुआ और दूसरा सेट एग्जाम कंट्रोलर आरती वासनिक द्वारा स्ट्रांग रूम में रखा गया। जिसमें परीक्षा और अन्य/शेष प्रश्न-पत्र सेट शामिल थे। हालांकि, जांच से पता चला कि दूसरा सेट स्ट्रांग रूम में 2021 की परीक्षा के लिए उपयोग नहीं किया गया। जांच में यह पता चला कि पीएससी 2020 की परीक्षा के लिए तैयार किए गए प्रश्न-पत्रों का एक सेट CGPSC 2021 की मुख्य परीक्षा में उपयोग किया गया।
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टामन और आरती की सांठगांठ :
जांच से पता चला कि जुलाई 2020 में टामन सिंह सोनवानी और आरती वासनिक ने एकेडी प्रिंटर्स प्रायवेट लिमिटेड के संचालक अरुण कुमार द्विवेदी के साथ मुलाकात की और पीएससी के पेपर छापने पर चर्चा की। इसके अनुसार, CGPSC और एकेडी के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें यह उल्लेख किया गया कि प्रश्न-पत्र छपाई की जिम्मेदारी एकेडी को सौंपी गई। इसके बाद, आरती वासनिक ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। जांच से पता चला कि आरती वासनिक ने एक साल तक एकेडी के संचालक अरुण कुमार द्विवेदी के पास प्रश्न-पत्रों को रखा।
यह भी सामने आया कि आरती वासनिक और टामन सिंह सोनवानी को पीएससी की 2020-21 की परीक्षा के प्रश्न-पत्रों की जानकारी थी। दोनों को यह जानकारी थी कि मुख्य परीक्षा के सभी पेपर्स में पूछे जाने वाले प्रश्न क्या थे। जीवन किशोर ध्रुव के आवासीय परिसर की तलाशी में सुमित ध्रुव के पास प्रश्न-पत्र और उत्तरों की फोटोकॉपी थी। जिसमें अभ्यास प्रश्नों के उत्तर शामिल थे। इससे यह पता चला कि सुमित को अपने पिता की मदद से पेपर नं 07 के प्रश्नों की जानकारी मुख्य परीक्षा से पहले प्राप्त हुई।
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घोटाले के मुख्य किरदार :
जांच के आधार पर यह पाया गया कि जीवन किशोर ध्रुव,आरती वासनिक,टामन सिंह सोनवानी और ललित गणवीर ने इस पूरी साजिश को अंजाम दियाा। इस साजिश का उद्देश्य CGPSC 2020 और 2021 की परीक्षाओं में धोखाधड़ी करना था। पीएससी 2021 की परीक्षा के प्रश्न-पत्रों की गोपनीयता भंग होने के लिए यह सभी लोग जिम्मेदार थे। आरती वासनिक ने प्रश्न-पत्र नं 02 और 07 पर कंट्रोल किया तो जीवन किशोर ध्रुव के पुत्र सुमित ने उन प्रश्नों को हल करने का अभ्यास किया और CGPSC परीक्षा में सफलता प्राप्त की, जिससे उनको डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित किया गया। इस घोटाले की कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है बल्कि इसमें और भी कई कारनामें शामिल हैं जिनकी पड़ताल सीबीआई कर रही है।
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