CGPSC Scam: सरनेम छिपाकर बहुओं को बनाया अफसर, पति सोनवानी की जगह लिखा पिता का नाम

छत्तीसगढ़ में हुए पीएससी घोटाले में चल रही सीबीआई जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष और इस घोटाले के किंगपिन टामन सिंह सोनवानी ने पूरी होशियारी के साथ इस करतूत को अंजाम दिया था।

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Arun Tiwari
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Raipur. छत्तीसगढ़ में हुए पीएससी घोटाले में चल रही सीबीआई जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष और इस घोटाले के किंगपिन टामन सिंह सोनवानी ने पूरी होशियारी के साथ इस करतूत को अंजाम दिया था। लेकिन टामन सिंह की होशियारी धरी की धरी रह गई और वे जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए।

उनका साथ तत्कालीन एग्जाम कंट्रोलर आरती वासनिक और तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव ने भी कंधे से कंधा मिलाकर दिया। यह घोटाला पकड़ में न आए इसके लिए टामन सिंह ने अपनी बहुओं के सरनेम ही गायब कर दिए। इसमें होशियारी ये थी कि न सोनवानी सरनेम आएगा और न ही उन पर कोई शक जाएगा। बेटे को तो बिना इंटरव्यू के ही डिप्टी कलेक्टर बना दिया गया। आइए आपको दिखाते हैं जेब में अफसरी रखने की टामन सिंह की होशियारी। 

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जाति छिपाकर बन गए अफसर : 

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) से जुड़ा एक भयावह घोटाला सामने आया है, जिसने राज्य की भर्ती प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा दिया है। 2020-2022 के बीच आयोजित राज्य सेवा परीक्षाओं में कथित तौर पर प्रश्न-पत्र लीक, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की साजिश रची गई।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच में यह खुलासा हुआ कि वरिष्ठ अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने मिलकर योग्य उम्मीदवारों के हक को छीना और खुद को फायदा पहुंचाया। आइए, इस चौंकाने वाले मामले की पूरी कहानी को क्रम से जानते है। पहले आपको दो किरदार बताते हैं जिन्होंने बिना सोनवानी लिखे परीक्षा दी और अफसरी हासिल कर ली। इनके सरनेम सोनवानी इसलिए छिपाया गया ताकि कोई इस कारस्तानी पर शक न कर सके।

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सोनवानी की बहू मिशा कोशले और उनकी भाई की बहू दीपा आदिल ने इसी नाम से परीक्षा में भाग लिया। दीपा ने अपने आवेदन में पति की जगह भरा NA यानी नाट एप्लीकेबल। जांच से पता चला कि दीपा  ने 07 मई 2008 को विवाह की तारीख का उल्लेख किया। आगे जांच में पता चला कि दीपा ने अपने पति का नाम बताने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट की सुनवाई के दौरान CGPSC को पता चला कि दीपा टामन सिंह सोनवानी के भाई दिमन सिंह सोनवानी की बहू है। 

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इसलिए छिपाया सरनेम : 

जांच में यह पाया गया कि दीपा ने CGPSC में अपने आवेदन में अपने पति का नाम उल्लेख नहीं किया, जिसका इरादा टामन सिंह सोनवानी परिवार के साथ अपने संबंध को छिपाने का था। इस संबंध को छिपाने का इरादा CGPSC की 2020 परीक्षा में धोखा देने के लिए था। जांच से पता चला कि 14.02.2021 को CGPSC 2020 की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें मिशा कोसले और दीपा उत्तीर्ण हुईं।

मुख्य परीक्षा 26.07.2021 से 29.07.2021 के दौरान आयोजित की जानी थी, लेकिन तारीखों को CGPSC द्वारा पुनर्निर्धारित किया गया। जांच में यह खुलासा हुआ कि मिशा कोसले के पति नितीश सोनवानी ने भी सीजीपीएससी 2020 की मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन वे इंटरव्यू में शामिल नहीं हुए ताकि पति-पत्नी दोनों के एक ही परीक्षा के माध्यम से चयन को लेकर कोई विवाद न हो, क्योंकि वे सोनवानी परिवार के सदस्य थे।

CGPSC 2020 का अंतिम परिणाम 29.10.2021 को घोषित किया गया। मिशा कोसले,को डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए चुना गया, और दीपा को डिस्ट्रिक्ट एक्साइज ऑफिसर के पद के लिए चुना गया। दोनों ने छत्तीसगढ़ सरकार में अपने-अपने पदों पर कार्यभार संभाला।

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पहले ही दिखा दिए थे प्रश्नपत्र : 

जांच में यह खुलासा हुआ कि टामन सिंह सोनवानी ने CGPSC 2020 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के प्रश्न-पत्रों को मिशा कोसले और दीपा आदिल को पहले से दिखाया। इन तथ्यों को मिशा और दीपा के सामने रखा। मिशा ने स्वीकार किया कि उनके पति नितेश और दीपा को प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न-पत्र पहले से दिखाए गए थे, और टामन सिंह सोनवानी ने मुख्य परीक्षा के प्रश्न-पत्र भी दिखाए। इन तथ्यों के आधार पर, यह साफ हुआ कि टामन सिंह सोनवानी ने मिशा और दीप के साथ आपराधिक साजिश रची। जिसका मकसद परीक्षा में धोखाधड़ी करना था। इसी साजिश के कारण प्रश्नपत्र लीक किए गए।

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