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CG Weather Update: छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में कड़ाके की ठंड और शीतलहर ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। सरगुजा संभाग के कई इलाकों में सुबह के समय घना कोहरा छाया रहता है, जिससे विजिबिलिटी बेहद कम हो गई है।
प्रदेश का 'शिमला' कहे जाने वाले मैनपाट में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, जबकि जिला मुख्यालय अंबिकापुर में यह 4.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।
मौसम का हाल: कहीं बर्फ जमी, कहीं कोहरे का सितम
पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के उत्तरी जिलों में जबरदस्त पाला पड़ा है। मैनपाट और पेंड्रा जैसे इलाकों में सुबह के समय ओस की बूंदें जमने से बर्फ की सफेद चादर बिछी नजर आई।
- सबसे ठंडा: अंबिकापुर (4.5 डिग्री सेल्सियस)
- सबसे गर्म: जगदलपुर (28 डिग्री सेल्सियस)
विजिबिलिटी: जगदलपुर-चित्रकोट मार्ग और अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर घने कोहरे के कारण सुबह यातायात प्रभावित रहा।
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मौसम का पूर्वानुमान
मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटे न्यूनतम तापमान में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है, लेकिन अगले 4 दिनों में पारा 1 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, जिससे ठंड से मामूली राहत मिल सकती है।
राजधानी रायपुर में अधिकतम तापमान 28°C और न्यूनतम 13°C के आसपास रहने का अनुमान है।
बच्चों की सेहत पर भारी ठंड: हाइपोथर्मिया का खतरा
ठंड का सबसे गंभीर असर बच्चों पर पड़ रहा है। बीते एक महीने में रायपुर के सरकारी और निजी अस्पतालों में हाइपोथर्मिया के 400 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
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क्या है हाइपोथर्मिया?
हाइपोथर्मिया एक जानलेवा आपात स्थिति है, जिसमें शरीर का सामान्य तापमान 98.6 फॉरेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) से नीचे चला जाता है। तापमान गिरने पर शरीर के अहम अंग सामान्य रूप से काम नहीं कर पाते।
पीडियाट्रिशियन डॉ. आकाश लालवानी के मुताबिक, ठंड के मौसम में शरीर हवा या पानी के संपर्क में आने पर तेजी से अपनी गर्मी खो देता है। शरीर की करीब 90 फीसदी गर्मी त्वचा और सांस के जरिए बाहर निकल जाती है। ठंडी हवा और नमी इस प्रक्रिया को और तेज कर देती है।
ओपीडी में उमड़ी भीड़
तापमान गिरने के साथ ही अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या 2-3 गुना बढ़ गई है। रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में अकेले 2000 से ज्यादा मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। इनमें अधिकांश मरीज वायरल फीवर, सर्दी-खांसी, निमोनिया और सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं।
विशेषज्ञों की सलाह: बचाव के तरीके
- कंगारू मदर केयर (KMC): नवजातों को मां के सीने से सटाकर रखें ताकि उन्हें प्राकृतिक गर्मी मिल सके।
- अलाव से सावधानी: बंद कमरों में कोयला या अलाव जलाकर न सोएं, यह दम घुटने (कार्बन मोनोऑक्साइड पॉइजनिंग) का कारण बन सकता है।
- गरम कपड़े: बच्चों और बुजुर्गों को कम से कम तीन परतों वाले कपड़े पहनाएं।
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